सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना मामले में दोषी करार दिए गए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की सजा पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस अरुण मिश्रा, बी. आर. गवई और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने मामले में पूरी सुनवाई के बाद फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया।
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भूषण की ओर से दलील पेश करते हुए अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ये चाहे तो कह सकता है कि वो प्रशांत भूषण से सहमत नहीं है और भूषण आगे से बयान जारी करने से पहले सोचें और विचार करें। जस्टिस मिश्रा ने भूषण से कहा, डॉ. धवन हम आपका धन्यवाद करते हैं। प्रशांत भूषण ने भी अपने बयान के एक हिस्से में अदालत को सम्मान दिया है।
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एजी वेणुगोपाल ने कहा कि अब इस मामले को बंद कर देना चाहिए। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि ऐसा कब तक चलेगा। उन्हें कहा कि जजों की तौहीन की जाती है और उनके परिवार के सदस्यों को अपमानित किया जाता है।
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धवन ने कोर्ट से कहा कि वो अपने फैसले में ये लिख सकता है कि वो भूषण के विचारों से सहमत नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि किसी को भी माफी मांगने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। धवन ने कहा कि चीफ जस्टिस के बारे में भूषण के बयान को आलोचना के रूप में नहीं लेना चाहिए। धवन ने ये भी सुझाव दिया कि उच्चतम न्यायालय अपने फैसले में एक कोड बनाए जिसका लोग अनुकरण करे, लेकिन भूषण की आवाज को बंद कर देना अच्छी बात नहीं है।
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