कांग्रेस अधिवेशन में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आर्थिक प्रस्ताव पेश कर कहा आज के युवाओं की स्थिति 50 साल पहले की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है। कांग्रेस के 85वें पूर्ण अधिवेशन के दूसरे दिन शनिवार को मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने रायपुर में आर्थिक प्रस्ताव पेश किया। इस ड्राफ्ट प्रस्ताव 'ए न्यू इकोनॉमिक विजन फॉर इंडिया' को एक नए इकोनॉमिक पफोर्मेंस मीट्रिक के साथ पेश किया, जो भारत के जीवन स्तर और आर्थिक गतिशीलता से संबंधित है।
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'भारत के लिए एक नई आर्थिक दृष्टि' शीर्षक वाले ड्राफ्ट प्रस्ताव में कहा गया है कि हमें एक नए इकॉनोमिक पफोर्मेंस मीट्रिक की जरूरत है जो औसत भारतीय के जीवन स्तर, आर्थिक गतिशीलता और बेहतर भविष्य की आशाओं से सीधे संबंधित हो।
कमलनाथ ने रायपुर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन में आर्थिक प्रस्ताव रखते हुए कहा कि आज देश के सामने तीन चुनौतिया हैं, बेरोजगारी, संस्कृति की रक्षा, संविधान की रक्षा। प्रस्ताव की बुनियादी बात है रोजगार। बेरोजगारी की समस्या का समाधान केवल कांग्रेस पार्टी कर सकती है। हमारी संस्कृति देश को जोड़ने की है। हम दिल को जोड़ते हैं। कांग्रेस लोगों को जोड़ती है।
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कमलनाथ ने कहा आज के युवाओं की स्थिति 50 साल पहले की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा, मैं 50 साल पहले 1972 में कोलकाता में सॉल्ट लेक सिटी में कांग्रेस के महाधिवेशन में पहली बार शामिल हुआ था। पचास साल बीत चुके हैं। उस समय का देश, उस समय की समस्या और आज में बेहद अंतर है।
उन्होंने कहा कि आज का नौजवान जो हमारे देश और प्रदेश का निर्माण करेगा भविष्य में, अगर उसका ही भविष्य अंधेरे में रहा तो कैसे भविष्य का निर्माण होगा। आज नई पीढ़ी के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है और देश में करोड़ों नौजवान बेरोजगार हैं। किसी मंदिर या मस्जिद में जाने से रोजगार के नए मौके नहीं बनेंगे। रोजगार के नए मौके बनेंगे जब हमारी सोच और हमारी योजनाएं रोजगारपरक हों।
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उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के साथ ही देश की संस्कृति भी एक बड़ी चुनौती है। हमारे देश और कांग्रेस की संस्कृति जोड़ने की संस्कृति है और आज ये खतरे में है। उन्होंने कहा कि अगर भारत आज एक झंडे के नीचे है तो ये हमारी संस्कृति के कारण है और हमें इसे संभालकर रखना है। इसे गलत हाथों में जाने से बचाना है।
कांग्रेस के इस आर्थिक प्रस्ताव यानी 'ए न्यू इकोनॉमिक विजन फॉर इंडिया' में कहा गया है कि हमें उपायों के पूरे सेट की जरूरत है जो भारतीयों की वर्तमान और अपेक्षित समृद्धि को दर्शाता है। हर निर्णय का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाएगा कि यह लोगों के लिए नौकरी, आय, स्वस्थ जीवन स्तर और जीवन के संदर्भ में क्या लाता है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि लेबर इंटेंसिटी सभी पॉलिसी ऑप्शनंस के मूल्यांकन के लिए प्राथमिक मानदंड होना चाहिए न कि केवल उत्पादन मात्र।
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प्रस्ताव के मुताबिक टैक्स पॉलिसी का ध्यान निवेश और मुनाफे के बजाय फिर से रोजगार और मजदूरी की ओर ले जाना चाहिए। लेबर-सरप्लस राष्ट्र के रूप में व्यापार हमारे लिए काफी जरूरी है। ऐसे में कुल मिलाकर, भारत की आर्थिक दृष्टि को लेबर मार्केट के साथ एक मौलिक बदलाव की जरूरत है। इस नए आर्थिक विजन के साथ, हमारा मकसद एक निष्पक्ष, न्यायपूर्ण और समान अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है और समाज के सभी वर्गों के लिए अवसर और समृद्धि लाना है।
साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले, पूर्ण सत्र में अपनाए जाने वाले आर्थिक प्रस्ताव के मसौदे में वादा किया गया कि राष्ट्र निर्माण में सभी वर्गों के लोगों को शामिल करके पार्टी एक नई शुरूआत करेगी, जैसा कि इससे पहले साल 1991 में किया था।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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