मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभालने के मौके पर अपने भाषण में सरदार वल्लभभाई पटेल का जिक्र किया था और अपने दर्शकों को याद दिलाया था कि वह उस पार्टी की अगुवाई कर रहे हैं, जिसका नेतृत्व कभी महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल ने किया था।
खड़गे ने यह भी कहा कि वह गुजरात में अपनी पहली जनसभा को संबोधित करेंगे, जहां बीजेपी ने सरदार पटेल को अपने नेता के रूप में आत्मसात किया है और उनके सम्मान में एक भव्य प्रतिमा का निर्माण कराया है।
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कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी जवाहरलाल नेहरू को नीचा दिखाने के लिए सरदार पटेल का इस्तेमाल कर रही है। यह लोगों को यह नहीं बता रही है कि यह सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे एक पत्र में पटेल ने कहा था : "इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिंदू महासभा का चरम वर्ग इस साजिश (महात्मा गांधी की हत्या) में शामिल था। आरएसएस की गतिविधियों ने सरकार और राज्य के अस्तित्व के लिए एक स्पष्ट खतरा पैदा किया।"
प्रतिबंध को इस शर्त पर रद्द कर दिया गया था कि आरएसएस किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा, लेकिन फिर मुखर्जी ने आरएसएस की मदद से जनसंघ का गठन किया थी, जो अब भारतीय जनता पार्टी है।
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी 5 सितंबर को गुजरात में एक रैली को संबोधित करते हुए सरदार पटेल पर बात की थी। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए सीधा सवाल उठाया था कि अगर बीजेपी को सरदार पटेल की विचारधारा पर गंभीरता से विश्वास होता तो वह कभी भी किसान विरोधी कानून पेश नहीं करती और उसे पारित नहीं करती।
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'परिवर्तन संकल्प सभा' में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा था, "सरदार पटेल ने अपने पूरे जीवन में किसानों, मजदूरों, आम लोगों के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन बीजेपी सरकार उनकी विचारधारा के बिल्कुल विपरीत काम कर रही है। उन्हें सरदार पटेल के अनुयायी कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने सरदार की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण कराया है, लेकिन उनके विश्वास, दर्शन और विचारधारा को समझने में विफल रहे हैं।"
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उन्होंने आगे कहा, "क्या आपने कभी सुना है कि सरदार पटेल ने विरोध या आंदोलन के लिए अंग्रेजों से अनुमति ली थी? बीजेपी दावा करती है कि वह सरदार पटेल में आस्था रखती है, लेकिन इसके शासन में लोगों को आंदोलन और विरोध करने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है, पटेल होते तो ऐसा कभी नहीं होता। अगर वह जीवित होते, तो आपसे कहते कि इस तरह के प्रतिबंध लगाने वाली बीजेपी को सत्ता से हटा दो।"
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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