JNU में छात्रों पर हुए हमले को लेकर कांग्रेस पार्टी ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रपोर्ट जारी कर दी है। रविवार को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की सदस्य सुष्मिता देव ने कांग्रेस के दिल्ली स्थित मुख्लायल में मीडिया से बात की। इस दौरान उनकी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में क्या है, इस बारे में उन्होंने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जेएनयू में छात्रों और फैकल्टी मेंबर से बातचीत के आधार पर है। शनिवार को यह रिपोर्ट कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी गई थी।
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कांग्रेस नेता और फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की मेम्बर सुष्मिता देव ने बताया कि JNU में छात्रों पर हुए हमले के बाद 8 जनवरी को उन्होंने बाकि कांग्रेस नेताओं के साथ जवाहर लाल नेंहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में वहां के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों से बात की। इस दौरान उन्होंने कुलपति से भी फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन व्यस्त था। सुष्मित ने बताया कि JNUमें ABVP कार्यकर्ताओं ने उनसे बात करने से इनकार कर दिया।
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सुष्मिता ने बताया कि ये रिपोर्ट्स उन्होंने महज मीडिया रिपोर्ट्स पर ही निर्भर रह कर नहीं बल्कि खुद वहां के हालातों की जानकारी लेकर उसी के आधार पर लिखी है।
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इसके बाद उन्होंने JNU के कुलपति से कुछ सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि JNU के कुलपति जिन्होंने हमसे मिलने से मना कर दिया था, उनसे मेरे कुछ सवाल है। उन्होंने कहा कि जिस साबरमती हॉस्टल में यह हिंसा हुई और JNUSU अध्यक्ष आयशी घोष पर हमला हुआ, उसका नाम सबकी जुबान पर था, लेकिन रजिस्ट्रार कीओर से जारी किए गए प्रेस रीलीज में साबरमती का जिक्र ही नहीं था।
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अगले सवाल में सुष्मिता ने कहा कि अगर 3 जनवरी को सर्वर रूम बंद करवाने के बाद अगले दिन ठीक कर लिया गया तो फिर 4 तारीख को दोबारा इसके बंद होने के बाद सर्वर क्यों नहीं चला। क्या ऐसा इसलिए किया गया था कि कुलपति को मालूम था कि 5 जनवरी को ABVP के गुंडे कैंपस में आएंगे।
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अगले सवाल में उन्होंने कहा कि हिंसा को लेकर पुलिस कार्रवाई पर कुलपति कहते हैं कि 4:30 बजे पुलिस को बुलाया गया था। जबकी पुलिस कहती है कि यूनिवर्सिटी की ओर से उन्हें 7:30 बजे बुलाया गया, कौन झूठ बोल रहा है।
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JNUSU अध्यक्ष, छात्रों और महिला प्रोफेसर को सिर पर चोट लगी है तो उस मामले में हत्या की कोशिश की धारा के तहत मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया। अभी तक 161 के तहत कितने लोगों के बयान दर्ज करवाए गए हैं। सिक्योरिटी विंग ने 5 जनवरी की शाम 8:39 और 8:43 बजे एफआईआर करवाई, यह वो वक्त था जब घायल छात्र AIIMS में अपना इलाज करवा रहे थे, यानी अपना मूल काम छोड़कर आंदोलन को तोड़ने में भूमिका निभाई. आरोप यह भी है कि सुरक्षाकर्मी नकाब पहनकर कैंपस में मौजूद थे।
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