कांग्रेस ने केंद्रीय बजट में सोने पर विभिन्न करों में भारी-भरकम कमी किए जाने के आर्थिक औचित्य पर शनिवार को सवाल खड़े किए।
मुख्य विपक्षी दल की टिप्पणी कोटक महिंद्रा के प्रबंध निदेशक और सीईओ नीलेश शाह द्वारा कथित तौर पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सीमा शुल्क में कटौती और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मद्देनजर भारत के सोने के आयात बिल में किसी भी उछाल पर नजर रखने का आग्रह करने के बाद आई है।
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘शाह वित्तीय जगत में एक बहुत सम्मानित नाम हैं और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य भी हैं। अन्य सदस्यों के विपरीत जो अर्थव्यवस्था को छोड़कर सभी मुद्दों पर बोलते हैं, शाह अर्थव्यवस्था से संबंधित मामलों पर अडिग रहते हैं।"
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रमेश ने इस बात पर जोर दिया कि सोने के आयात पर शाह की ताजा टिप्पणी पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
उनका कहना है, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का सोने का आयात कुल 45.4 अरब डॉलर का था, जो इसके पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत अधिक है। यह शायद ही बहस का विषय है कि सोने के आयात से आर्थिक विकास में बहुत कम योगदान होता है। फिर भी, 2024-25 के बजट में सोने पर आयात शुल्क कम कर 10 फीसदी से 6 फीसदी कर दिया गया।
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रमेश ने कहा, ‘‘कृषि अवसंरचना और विकास उपकर में कटौती के साथ ही सोने पर कुल कर (जीएसटी सहित) प्रभावी रूप से 18.5 प्रतिशत से घटकर 9 प्रतिशत हो गया है।’’
उन्होंने सवाल किया कि इसका आर्थिक तर्क क्या है?
पीटीआई के इनपुट के साथ
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