कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि आरबीआई उन लोन डिफॉल्टर्स की सूची जारी करे, जिन्होंने बैंकों कर्ज नहीं चुकाया। दिल्ली में कांग्रेस मुख्याल में प्रेस से बात करते हुए पार्टी के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मोदी सरकार के 5 सालों के कार्यकाल के दौरान डिफॉल्ट लोन और एनपीए 4 से 5 गुना बढ़ गए हैं। सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत डिफॉल्टरों की सूची जारी करने का आरबीआई को एक अंतिम मौका दिया है।
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कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मित्र पूंजीपतियों का पक्ष ले रही है। कांग्रेस प्रवक्त अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस से बात करते हुए आरोप लगाया कि आरबीआई और सरकार के बीच 100 सबसे बड़े ऋण डिफॉल्टरों की सूची का खुलासा न करने के लिए सांठ-गांठ है।
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सिंघवी ने सवाल किया, “कई सहकारी बैंक, खासतौर से गुजरात में, डिफॉल्टरों की सूची का खुलासा नहीं कर रहे हैं। सरकार अपने मित्र पूंजीपतियों का पक्ष ले रही है। सरकार आरबीआई को जानकारी का खुलासा करने के लिए निर्देश क्यों नहीं दे रही है?”
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कांग्रेस आरबीआई की नवंबर 2016 की खुलासा नीति का जिक्र कर रही है, जो सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विभिन्न प्रकार की जानकारियों के खुलासे की मनाही करती है। इसमें विलफुल डिफॉल्टर और वार्षिक निरीक्षण रिपोर्टें भी शामिल हैं।
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कांग्रेस ने यह भी कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां मार्च 2014 से मार्च 2018 के बीच चार वर्षों में पांच गुना बढ़कर 2.5 लाख करोड़ रुपये से 10.36 लाख करोड़ रुपये हो गई हैं, खासतौर से गुजरात के सहकारी बैंकों की।
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सिंघवी ने कहा, “सरकार को इन डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई को आरटीआई के तहत जानकारी जारी करने का अंतिम मौका दिया है, वरना कोर्ट इसे अवमानना मानेगा। ऐसा लगता है कि सरकार जानकारी छिपा रही है।”
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