कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने चीनी घुसपैठ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ सवाल पूछे हैं। कपिल सिब्बल ने बयान में कहा, तस्वीरें झूठ नहीं बोलती.. उन्होंने पूछा प्रधानमंत्री देश को जवाब देंगे- क्या वास्तविक व ताजा चित्र ‘पैंगोंग त्सो लेक' एरिया में ‘फिंगर 4 रिज़' तक हमारी सरजमीं पर चीनी कब्जे की सच्चाई बयां नहीं करते? क्या यह भारत का ही भूभाग है जिस पर चीनियों द्वारा अतिक्रमण कर राडार, हैलीपैड और दूसरी संरचनाएं खड़ी कर दी गई हैं? कपिल सिब्बल ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बनने से पहले अक्सर कहते थे कि हम चीन को लाल आंख दिखाएं। लेकिन अब चीन का नाम नहीं ले रहे।
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कांग्रेस नेता ने लद्दाख के गतिरोध वाले क्षेत्र की उपग्रह से ली गई एक हालिया तस्वीर जारी की, जो एक ब्रिटिश अखबार ने प्रकाशित की है। सिब्बल ने इस तस्वीर का हवाला देते हुए दावा किया कि चीन की सेना ने भारतीय क्षेत्र में कई निर्माण कार्य कर लिए हैं। उन्होंने सवाल किया, प्रधानमंत्री देश को बताएं कि क्या चीनी सैनिकों ने पेंगोंग सो इलाके में फिंगर चार तक कब्जा कर रखा है या नहीं? क्या यह वास्तविकता नहीं है? क्या वह इलाका हमारी मातृभूमि नहीं है? कांग्रेस नेता ने यह भी पूछा, क्या चीन ने उस स्थान पर कब्जा नहीं किया है जहां हमारे 20 जवान शहीद हुए थे? क्या चीन ने डेपसांग इलाके में वाई जंक्शन पर कब्जा नहीं कर रखा है? उन्होंने दावा किया कि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गलवान घाटी गईं थीं। लेकिन मोदी जब लद्दाख गए तो सीमा से 230 किलोमीटर दूर गए। हमारे जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें सीमा के नजदीक जाना चाहिए।
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कपिल सिब्बल ने आगे पूछा, "क्या चीनियों ने गलवान घाटी समेत ‘पेट्रोल प्वाइंट-14, जहां 16 बिहार रेजिमेंट के 20 जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया, पर कब्जा कर लिया है? क्या चीनियों ने भारतीय सीमा के अंदर ‘हॉट स्प्रिंग्स' इलाके को भी कब्जे में ले लिया है? क्या चीन ने ‘डेपसांग प्लेंस' में ‘वाई-जंक्शन' (एलएसी के 18 किलोमीटर अंदर) तक हमारी जमीन पर कब्जा कर भारत की सामरिक महत्व की ‘डी.बी.ओ हवाई अड्डे' को खतरा उत्पन्न कर दिया है, जो ‘सियाचिन ग्लेशियर' एवं ‘काराकोरम पास' में हमारी सैन्य आपूर्ति की लाइफलाइन है?
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कपिल सिब्बल के सवालों का सिलसिला यहीं नहीं रुका उन्होंने आगे कहा कि "क्या भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए फॉरवर्ड लोकेशंस में नहीं गए थे? क्या पंडित जवाहर लाल नेहरु 1962 में एनईएफए (NEFA) में फॉरवर्ड लोकेशंस में हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने नहीं गए थे? लेकिन ऐसा लगता है कि हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री 230 किलोमीटर दूर ‘नीमू, लेह' में ही रुके रहे." लद्दाख में हमारे स्थानीय काउंसलर्स, जिनमें भाजपा के काउंसलर भी शामिल हैं, उन्होंने चीन द्वारा हमारी जमीन पर कब्जा करने के बारे में फरवरी, 2020 में प्रधानमंत्री मोदी को मैमोरेंडम भेजा? प्रधानमंत्री ने उस पर क्या कार्रवाई की? अगर प्रधानमंत्री ने समय रहते कदम उठाया होता, तो क्या हम चीनियों के अतिक्रमण को पहले ही नहीं रोक देते?
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सिब्बल ने कहा कि समय की मांग है कि भारत, चीन की ‘आंखों में आंखें' डालकर स्पष्ट रूप से बता दे कि चीनियों को भारतीय सरजमीं पर अपने अवैध व दुस्साहसपूर्ण कब्जे को छोड़ना होगा। प्रधानमंत्री जी, यही एकमात्र ‘राज धर्म' है, जिसका पालन आपको हर कीमत पर करना चाहिए। कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को लद्दाख में जिस स्थान पर गए थे वह कोई अग्रिम मोर्चा नहीं है, बल्कि एलएसी से 230 किलोमीटर दूर है। सिब्बल ने कहा कि एलएसी को चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाई द्वारा 1956 में गढ़ा गया था और फिर 1959 में और 1962 के युद्ध के दौरान और उसके बाद दोहराया गया। चीन के भारत पर आक्रमण के बाद, झोउ एनलाई ने नेहरू को एक पत्र भेजकर उनसे 1959 के चीन के दावे वाली लाइन (रेखा) को स्वीकार करने के लिए कहा और कहा कि चीन इस रेखा से 20 किलोमीटर तक पीछे हटने को तैयार है।""जवाब में, नेहरू द्वारा 4 नंवबर को लिखे पत्र में कहा गया कि चीन का प्रस्ताव हुक्मनामे से कम नहीं है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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