लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी और शिवसेना ने सोमवार को गठबंधन का ऐलान कर दिया। तय हुआ कि दोनों के बीच 25-23 सीटों का बंटवारा होगा। लेकिन महाराष्ट्र में एक-दूसरे को बीते दो-तीन साल से आंखें दिखाती रही शिवसेना का बीजेपी के साथ गठबंधन होना राजनीतिक विश्लेषकों के लिए हैरानी भरा है।
गौरतलब है कि काफी समय से शिवसेना ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तमाम मुद्दों पर मोर्चा खोल रखा है। शिवसेना नेता और उसका मुखपत्र लगातार मोदी सरकार की नीतियों की खुलेआम आलोचना करते रहे हैं, यहां तक कि कई नेता लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ने का भी ऐलान कर चुके थे। लेकिन सोमवार को दोनों दलों ने गठबंधन का ऐलान कर दिया।
इस गठबंधन पर कांग्रेस ने तीखी चुटकी ली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने एक ट्वीट में कहा कि, “पहले बिहार, फिर महाराष्ट्र और अब तमिलनाडु, एक के बाद बीजेपी गठबंधन बनाने में लगी है। सबसे बड़ा महासवाल-यह महामिलावट है या महा भय?”
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गौरतलब है कि शिवसेना और बीजेपी ने ऐलान किया है कि बीजेपी 25 और शिवसेना 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस गठबंधन के ऐलान के बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता विखे पाटिल ने पुणे में कहा कि, “मेरे पास खबर है कि बीजेपी ने शिवसेना को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का खौफ दिखाकर गठबंधन करने के लिए मजबूर किया।”
पत्रकारों से बातचीत में विखे पाटिल ने कहा कि शिवसेना-बीजेपी गठबंधन से साफ हो गया है कि सत्तारूढ़ गठबंधन को हार का खौफ सता रहा है, इसीलिए उन्होंने साथ लड़ने का फैसला किया है। वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि, “यह चुनावी गठबंधन राफेल चोर और सत्ता की लालची पार्टी के बीच तालमेल है।” चव्हाण ने कहा कि, “टाइगर भी मजबूर है।”
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उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि, “उद्धव ठाकरे ने एक खोखली घोषणा की थी कि शिवसेना अपने दम पर लड़ेगी और बीजेपी से गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा था कि गठबंधन को जला दिया गया है। लेकिन, आज उद्धव ठाकरे ने अपने आत्मसम्मान को खत्म कर दिया है और बीजेपी के चारों ओर घूम रहे हैं।“
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