हरियाणा में बीजेपी की मिलीजुली सरकार को समर्थन दे रहे रोहतक के महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को सरकार से समर्थन वापसी का पत्र सौंपते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर बड़ा हमला बोला है। खट्टर पर ईमानदारी का महज दिखावा करने और राज्य में उन्हीं के आशीर्वाद से भ्रष्टाचार होने का गंभीर आरोप जड़ा है। यहां तक कि कुंडू ने मुखमंत्री को ही भ्रष्टाचारियों का मुखिया करार दिया है।
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बलराज कुंडू ने विधानसभा स्पीकर और गवर्नर को 28 फरवरी को सरकार से समर्थन वापसी का पत्र सौंपते हुए उसमें गंभीर बातें लिखी हैं। कुंडू ने पत्र में लिखा है कि, ‘महम से विधायक बनने के बाद मैंने अपना समर्थन एक ईमानदार मुख्यमंत्री और ईमानदार सरकार को दिया था। मैं मुख्यमंत्री मनोहर लाल को एक ईमानदार नेता मानते हुए उनके साथ ईमानदारी के पथ पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़कर अपने हल्के के विकास के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहता था। मैं ये सोचता था कि मनोहर लाल की सोच के अनुरूप हर भ्रष्टाचार को मिटाकर हरियाणा में प्रजातंत्र लाने का हिस्सा बनकर प्रदेश को नई दिशा देने का काम करूंगा। उसी के अनुरूप मैंने दो बड़े घोटालों को उजागर करने का काम यह सोचकर किया कि मुख्यमंत्री इन भ्रष्टाचारियों-घोटालेबाजों, चाहे वह पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर और उच्चाधिकारी ही हों, उन पर जांच करवाकर सख्त कार्रवाई करने का काम करेंगे।’
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कुंडू ने लिखा है कि मुझे मुख्यमंत्री पर पूरा भरोसा था कि मनीष ग्रोवर और उसकी चोर मंडली ने जो चीनी मिलों में लगभग 3300 करोड़ रुपये और शहरी विकास मंत्रालय में लगभग 1500 करोड़ की लूट मचाई है उस पर सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही जिस मनीष ग्रोवर ने हरियाणा के भाईचारे की हत्या कर रोहतक को जलाने का काम किया, उस पर भी वह सख्त एक्शन लेंगे। कुंडू लिखते हैं कि जिस तरह 27 फरवरी को सदन में उस भ्रष्ट पूर्व मंत्री को क्लीन चिट देने का काम किया गया, उससे मुख्यमंत्री की कथनी और करनी में कितना फर्क है यह साफ पता चलता है। मुझे यह बात कहने में कोई परहेज नहीं है कि यह सब मुख्यमंत्री के आशीर्वाद से हो रहा है। मुख्यमंत्री ईमानदारी का सिर्फ दिखावा मात्र कर रहे हैं। अगर मैं कहूं कि मुख्यमंत्री इन भ्रष्टाचारियों के भी मुखिया हैं।
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह रूप देखकर मैं आहत हूं। मैं जनता का प्रतिनिधि और विधानसभा का सदस्य हूं। जब मेरी उठाई आवाज को इस तरह दबाने की कोशिश की गई तो आम आदमी की आवाज कहां तक पहुंच पाती होगी। कुंडू ने आगे कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न खाउंगा और न खाने दूंगा की सोंच लेकर राजनीति में आया हूं, लेकिन उन्हीं की नाक के नीचे उन्हीं की सरकार के प्रतिनिधि ऐसे भ्रष्टाचार के अजगर को पालेंगे तो मैं ऐसी सरकार को समर्थन नहीं दे सकता। इसलिए मैं मनोहर लाल खट्टर सरकार को दिया अपना समर्थन वापस लेता हूं।
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कुंडू ने विधानसभा में स्पीकर को समर्थन वापसी का पत्र देने का वक्त भी ऐसा चुना जब मुख्यमंत्री बजट पेश करने के लिए खड़े ही हुए थे। इस घटनाक्रम के बाद सरकार की बेचैनी इससे समझ में आती है कि बजट पेश करने के बाद जब मुख्यमंत्री मीडिया से रूबरू हुए तो कुंडू के घटनाक्रम पर उनसे सवाल किया गया, लेकिन जवाब में उन्होंने कहा कि इस पर मुंझे कुछ नहीं कहना है। इतना कहकर मुख्यमंत्री उठकर चले गए।
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