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CAB से मित्र देश भी हुए नाराज, अमित शाह के बयान पर भड़का बांग्लादेश, अफगानिस्तान बोला- हमें PAK के साथ क्यों रखा?

नागरिकता संशोधन बिल पर बांग्लादेश ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री एकेअब्दुल मोमेन ने कहा कि नागरिकता विधेयक से भारत की ऐतिहासिक धर्मनिरपेक्ष छवि कमजोर होगी।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया। लेकिन इस बिल को लेकर बवाल जारी है। देश के कई हिस्सों में इस बिल का जबरदस्त विरोध हो रहा है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इस बिल के मुताबिक इन देशों के मुस्लिमों को भारत की नागरिकता नहीं दी जा सकती। अब इस बिल का इन तीनों देशों ने भी विरोध किया है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 'नागरिकता संशोधन बिल' को पक्षपातपूर्ण करार देकर इसका विरोध किया है। पाकिस्तान ने कहा कि यह बिल दोनों देशों के बीच तमाम द्विपक्षीय समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन है।

Published: 12 Dec 2019, 1:44 PM IST

पाकिस्तान का कहना है कि इस बिल के जरिए भारत गलत मंशा से उसके आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान ने कहा, हम इसकी भी निंदा करते हैं कि भारत पड़ोसी देशों के कथित प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के ठिकाने के तौर पर खुद को पेश करने की कोशिश कर रहा है।

नागरिकता संशोधन बिल पर बांग्लादेश ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री एकेअब्दुल मोमेन ने कहा कि नागरिकता विधेयक से भारत की ऐतिहासिक धर्मनिरपेक्ष छवि कमजोर होगी। उन्होंने अपने देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सताए जाने के आरोपों का भी खंडन किया। बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा कि बहुत कम देश हैं जहां बांग्लादेश की तरह सांप्रदायिक सद्भाव अच्छा है। अगर वह (गृह मंत्री अमित शाह) कुछ महीनों के लिए बांग्लादेश में रहें तो उन्हें हमारे देश में सांप्रदायिक सद्भाव दिखाई देगा।

Published: 12 Dec 2019, 1:44 PM IST

गौरतलब है कि सदन में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि बांग्लादेश और पाकिस्तान समेत कई ऐसे पड़ोसी देश हैं, जहां हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि इस बात को ध्यान में रख कर इस बिल को लाया गया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने अमित शाह के इसी बयान का खंडन किया है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और भारत के करीबी रिश्ते रहे हैं और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों का सुनहरा अध्याय भी करार दिया गया। स्वाभाविक तौर पर, बांग्लादेश यह उम्मीद नहीं करता है कि भारत ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे उनके बीच तकरार आए।

Published: 12 Dec 2019, 1:44 PM IST

मोमेन ने बताया कि बांग्लादेश के हर क्षेत्र में सभी धर्म के अनुयायियों को समान अधिकार मिले हैं और उनके यहां सांप्रदायिक सौहार्द कायम है। उन्होंने अमेरिकी राजदूत अर्ल आर मिलर से मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका भी नागरिकता संशोधन बिल को लेकर चिंतित हैं। अमेरिका भी इस बिल की आलोचना कर रहा है...उनका मानना है कि इस बिल को पास करके भारत ने अपनी स्थिति कमजोर कर ली है।

इस बिल में अफगानिस्तान का भी जिक्र है और अफगानिस्तान ने भी इस बिल को लेकर आपत्ति जताई है। अफगानिस्तान का कहना है कि वहां अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं होता है।

Published: 12 Dec 2019, 1:44 PM IST

इंडिया टुडे के मुताबकि भारत में अफगानिस्तान के राजदूत ताहिर कादरी बिल पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अफगानिस्तान ऐसे देशों में शामिल नहीं है जहां पर सरकार अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करती हो। उन्होंने कहा कि, पिछले कुछ सालों से सरकार अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख समुदाय के हमारे भाइयों और बहनों का पूरा सम्मान कर रही है। हमारे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है और हमारी संसद में उनके लिए सीटें आरक्षित हैं और प्रेजेडेंशियल पैलेस में भी उनके प्रतिनिधि मौजूद हैं।

Published: 12 Dec 2019, 1:44 PM IST

बता दें कि लोकसभा से पास होने के बाद बुधवार को राज्यसभा से भी नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया। बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े। वहीं, बिल के विरोध में 105 वोट पड़े। कुल 230 सांसदों ने अपने मतों का इस्तेमाल किया। यह विधेयक दोनों सदनों से पास हो गया है। विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।

Published: 12 Dec 2019, 1:44 PM IST

नागरिकता संशोधन बिल क्या है?

नागरिकता संशोधन बिल को संक्षेप में CAB भी कहा जाता है और ये बिल शुरू से ही विवाद में रहा है। विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के 6 अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से संबंध रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। मौजूदा कानून के असार, किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना जरूरी है। इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए ये समयावधि 11 से घटाकर 6 साल कर दी गई है।

Published: 12 Dec 2019, 1:44 PM IST

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Published: 12 Dec 2019, 1:44 PM IST