चीन ने शुक्रवार को डोकलाम में जारी निर्माण पर सफाई दी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग का कहना है कि, "ये जायज है और वहां रह रहे सैनिकों और लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाना हमारा मकसद है।"
हाल की मीडिया रिपोर्ट्स जारी डोकलाम के सैन्य परिसर की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आने पर लू कांग ने कहा कि, "मैंने ऐसी रिपोर्ट्स देखी हैं। मुझे नहीं मालूम कौन इस तरह की तस्वीरें जारी करता है। हालांकि, इस बारे में मुझे पूरी जानकारी नहीं है।"
गौरतलब है कि सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने डोकलाम पर बयान दिया था कि वहां हमारी भी सेनाएं मौजूद हैं और वहां चीन के सैनिकों की मौजूदगी गंभीर बात नहीं है।
लू कांग ने कहा कि , "डोंगलांग या डोकलाम में चीन की स्थिति बेहद स्पष्ट है। डोंगलांग हमेशा से ही हमारा था और हमेशा हमारे अधिकार क्षेत्र में रहेगा। इस बात को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं है। सीमाओं की बेहतर निगरानी के साथ-साथ वहां रह रहे लोगों और जवानों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए चीन वहां पर निर्माण कार्य कर रहा है। इसमें सड़कें भी शामिल हैं।" उन्होंने कहा कि, "ये जायज है और तर्कसंगत है। जिस तरह से भारतीय इलाके में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हम लोग बयान नहीं देते हैं, हम उम्मीद करते हैं कि दूसरे देश भी हमारे इलाके में किए जा रहे कंस्ट्रक्शन पर कमेंट नहीं करेंगे।"
सेनाध्यक्ष बिपिन रावत के इस बयान पर कि डोकलाम विवादित इलाका है, पर लू कांग ने कहा, "भारत के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने ये साफ कर दिया था कि भारतीय सेनाओं ने सीमा पार की थी। इस घटना ने भारत और चीन के रिश्तों को मुश्किल में डाल दिया था। हमें उम्मीद है कि भारतीय पक्ष इससे कुछ सबक लेगा और दोबारा ऐसा करने से बचेगा।"
लू कांग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात पर कहा कि, “इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओँ ने द्विपक्षीय रिश्तों को बेहतर बनाने और विकास को लेकर चर्चा की।"
ध्यान रहे कि सैटेलाइट से मिली तस्वीरों में बताया गया था कि चीन ने डोकलाम इलाके के उत्तरी हिस्से में 7 हेलीपैड बना लिए हैं। वहां पर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां, तोपखाने समेत कई सैन्य उपकरण की मौजूदगी दिखी है।
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने मोदी सरकार से जवाब मांगा है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि चीन ने डोकलाम में दो मंजिला इमारत बना ली है। वहीं सेनाध्यक्ष बिपिन रावत कहा था, "इंडिया-चीन बॉर्डर पर अब हालात डोकलाम विवाद से पहले जैसे हो गए हैं। मुझे नहीं लगता है कि इसमें (डोकलाम में चीन के सैनिकों की मौजूदगी) कोई गंभीर बात नहीं है। हम किसी भी हालात से मुकाबले के लिए तैयार हैं। हमारे सैनिक अभी भी वहां मौजूद हैं। जहां तक डोकलाम की बात है तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलएके जवान वहां अपने एरिया में हैं। हालांकि, वे उतने नहीं हैं, जितना कि पहले हमने उन्हें देखा था। उन्होंने कुछ निर्माण किया है,लेकिन इसमें से ज्यादातर अस्थाई है। "
दरअसल जून 2016 में डोकलाम विवाद तब शुरू हुआ था, जब भारतीय सैनिकों ने वहां चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोका था। हालांकि चीन का दावा था कि वह अपने क्षेत्र में सड़क बना रहा था। इस इलाके का भारत में नाम डोका ला है, जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहते हैं। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। यह विवाद जून से शुरु होकर 28 अगस्त 2016 तक चला था। इस दौरान दोनों देशों को बीच काफी तनाव रहा था। बाद में अगस्त में यह टकराव खत्म हुआ और दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी थी।
Published: 19 Jan 2018, 5:29 PM IST
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Published: 19 Jan 2018, 5:29 PM IST