कभी छत्तीसगढ़ के बस्तर की पहचान नक्सल समस्या हुआ करती थी, लेकिन अब हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दावा है कि बस्तर में शांति और विकास की बयार बह रही है। बघेल ने बस्तर के कई इलाकों का दौरा करते हुए कहा कि पुलिस के जवान ग्रामीणों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। बीते साल में बस्तर में सबसे कम हिंसा की घटनाएं हुई हैं, इसके लिए पुलिस के अधिकारियों और जवानों और बस्तरवासियों को बधाई। आज बस्तर की संस्कृति की चर्चा देश और दुनिया में फिर से हो रही है।
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मुख्यमंत्री बघेल ने बस्तर में अनेक विकास कार्यों की सौगात दी और कहा कि पहले बस्तर में लोग महुआ सड़कों पर फेंकने के लिए बाध्य हो रहे थे, हमने लॉकडाउन के दौरान 30 रुपए किलो में महुआ और 31 रुपए किलो में इमली की खरीदी की। बस्तर में 65 प्रकार की लघु वन उपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। तेंदूपत्ता का 4000 रुपए प्रति मानक बोरा पारिश्रमिक दिया जा रहा है। राज्य सरकार धान के साथ कोदो, कुटकी, रागी की भी समर्थन मूल्य पर खरीदी कर रही है। बस्तर जिले में पिछले बार 18000 किसानों ने धान बेचा था, इस बार 34000 किसानों ने धान बेचा है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि आज किसानों, गरीबों, वनोपज संग्राहकों के पास पैसा है। बस्तर में बंद स्कूल खोले गए। हर विकासखंड में दो-दो स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए गए। हाट बाजार क्लीनिक योजना से लेकर जिला अस्पताल तक स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का काम किया गया है। राज्य सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में काम कर रही है। हमारा प्रयास है कि लोगों के जीवन में परिवर्तन आए बस्तर की संस्कृति की पहचान बने, लोगों के आस्था के केंद्र को मजबूत किया जा रहा है। वन अधिकार मान्यता पत्र वितरित करने काम जो रोक दिया गया था, उसे फिर से प्रारम्भ किया गया हजारों लोगों को लाभान्वित किया गया।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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