मानसून के साथ ही देशभर में चांदीपुरा वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में सबसे ज्यादा मामले गुजरात से आ रहे हैं। इस वायरस से कई मरीजों की मौत हो चुकी है।
गुजरात में यह बीमारी खतरनाक रूप से सामने आ रही है। पिछले तीन हफ्तों में गुजरात में मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है। अब तक इस वायरस से लगभग 44 मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं, इसके 124 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इसके साथ ही विभिन्न अस्पतालों में कई लोगों का इलाज चल रहा है।
इस खतरनाक वायरस के बारे में जानने के लिए आईएएनएस ने पेसिफिक मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के सीनियर रेजीडेंट डॉ. अर्पित ओबेरॉय से बातचीत की।
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डॉ. अर्पित ओबेरॉय ने बताया कि चांदीपुरा वायरस एक बेहद खतरनाक है। यह सबसे पहले नागपुर के चांदीपुर से शुरू हुआ था। यह खासतौर पर 12 से 14 साल तक के बच्चों में पाया जाता है। इसके लक्षणों के बारे में बात करते हुए डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी में बुखार सिर दर्द, बदन दर्द, डायरिया, उल्टी और फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसमें तेज इंसेफेलाइटिस भी होता है। यह दिमाग में सूजन पैदा करने की एक स्थिति है।
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उन्होंने बताया कि चांदीपुरा वायरस एक तरह का आरएनए वायरस है, जो घरों में ही पाया जाता है। यह घरों के कोने में छिपकर बच्चों को अपना शिकार बनाता है। यह मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। इसके पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार हैं। इससे बचने के लिए बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं। उनके शरीर को पूरी तरह से ढककर रखें। अगर मरीज को तेज बुखार जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे बचने के लिए साफ-सफाई का उचित ध्यान भी दें।
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बता दें कि 1966 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा से इसका पहला मामला सामने आया था, जिसके बाद से इसका नाम चांदीपुरा वायरस रख दिया गया। इसके बाद 2004 से 2006 और 2019 में इसके मामले आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से सामने आने लगे। फिलहाल यह खतरनाक वायरस गुजरात और राजस्थान के लोगों को निशाना बना रहा है।
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