देशभर में कोरोना के बढ़ते मामलों को काबू करने के लिए लॉकडाउन किया गया है। ऐसी स्थिती में सिर्फ जरुरी सामानों की बिक्री और जरूरी काम वाले लोगों को ही घरों से बाहर आने की इजाजत है। उन जरूरी कामों में से एक मीडिया संस्थान के लोग भी हैं। मीडिया से जुड़े लोगों को इस लॉकडाउन/कर्फ्यू में घरों से बाहर आने की इजाजत है। बस शर्त ये है कि उस शख्स के पास प्रेस कार्ड, पहचान पत्र और कर्फ्यू पास होना चाहिए। लेकिन इन सबके बाद भी कई पत्रकार पुलिस की गुंडागर्दी का शिकार हो रहे हैं। ताजा मामला केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ का है। जहां प्रेस कार्ड, पहचान पत्र और कर्फ्यू पास होने के बाद भी एक वरिष्ठ पत्रकार को वर्दी की घौंस दिखाकर चंडीगढ़ पुलिस ने जबरन हिरासत में लिया।
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चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-1 के बेलगाम एसएचओ जसवीर सिंह ने अपनी पुलिसिया धौंस दिखकर पत्रकार देवेंद्र पाल के साथ बदतमीजी की बल्कि उसे थाने तक ले गई। वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र पाल को हिरासत में ले लिया और बीच सड़क से लेकर थाने तक उनकी फजीहत की। आपको बता दें, दो दशक से अपनी जनपक्षीय, सरोकारी और निर्भीक पत्रकारिता के लिए सूबे में अलहदा एवं सम्मानजनक रुतबा रखने वाले देवेंद्र पाल प्रख्यात पंजाबी दैनिक अखबार 'पंजाबी ट्रिब्यून' में प्रमुख संवाददाता के पद पर कार्यरत हैं। 'पंजाबी ट्रिब्यून' ट्रिब्यून समूह का हिस्सा है, जो अपनी निष्पक्ष और ईमानदार पत्रकारिता के लिए चौतरफा जाना जाता है।
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बता दें, देवेंद्र पाल अपने निवास स्थान से पैदल ऑफिस की तरफ जा रहे थे कि सेक्टर 29/30 के चौराहे पर लाल बत्ती वाली पुलिस की अपनी गाड़ी में लाव लश्कर के साथ सवार एसएचओ जसवीर सिंह ने उन्हें रोक लिया। देवेंद्र के गले में प्रेस कार्ड था और उन्होंने अपना परिचय देते हुए बताया कि वह ड्यूटी पर जा रहे हैं। पत्रकार की शिष्टता का जवाब सनकी थानेदार ने गालियों से दिया और जबरन पुलिस वाहन में धकेल कर पुलिस स्टेशन ले आए। पुलिस की ताकत का अंधा प्रदर्शन करते हुए वहां भी देवेंद्र पाल के साथ बदसलूकी की गई और उन्हें जमीन पर बैठने को मजबूर किया गया। तमाम पुलिसिया हथकंडे अपनाने की धमकी दोहराई जाती रही। देवेंद्र पाल किसी तरह अपने संपादक, सहकर्मियों और आला पुलिस अधिकारियों को अपनी इस बेवजह हिरासत का संदेश देने में कामयाब हो गए। आधे घंटे की प्रताड़ना के बाद उन्हें थाने से रिहा किया गया।
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ट्रिब्यून ग्रुप द्वारा उसी रात ही लिखित तौर पर मामला चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक संजय बैनीवाल के संज्ञान में लाया गया। इस करतूत को अंजाम देने वाला थानेदार जसवीर सिंह जिद पर अड़ा रहा कि पत्रकार देवेंद्र पाल को इस 'गुनाह' के लिए फौरी तौर पर हिरासत में लिया गया कि वह कर्फ्यू और लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए सैर कर रहे थे। वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र पाल के साथ की गई पुलिसिया गुंडागर्दी के बाद पंजाब और चंडीगढ़ के कई पत्रकार संगठनों और चंडीगढ़ प्रेस क्लब के प्रतिनिधियों ने यूटी डीजीपी संजय बैनीवाल से मिलकर गुस्सा जाहिर किया। डीजीपी ने संबंधित थाना अधीक्षक सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच डीआईजी ओमबीर सिंह बिश्नोई को सौंप दी है। डीजीपी बैनीवाल का कहना है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मीडिया बहुत अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने निष्पक्ष कार्रवाई का भरोसा दिया है।
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इस बीच राज्य के तमाम छोटे-बड़े सियासतदानों और राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ हर जिले और कस्बे के पत्रकार संगठनों ने देवेंद्र पाल के साथ की गई पुलिसिया ज्यादती की कड़े शब्दों में निंदा की है। साथ ही इसे भी शर्मनाक करार दिया है कि दोषी थानेदार जसवीर सिंह अभी भी पद पर बहाल है। जबकि साफ सुबूत हैं कि थानेदार ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए वर्दी में गुंडागर्दी की।
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