भारत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। अपने हलफनामे में केंद्र ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए कहा है कि इनके संबंध कुछ आतंकवादी संगठनों से भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब मांगा था।
सरकार ने शपथपत्र में मुख्य तौर पर ये बातें कहीः
-कई रोहिंग्या मुसलमानों का संबंध आईएसआईएस व अन्य आतंकवादी संगठनों से है। हलफनामे में कहा गया कि ये लोग भारत में सांप्रदायिक दंगे फैलाने से लेकर कई दूसरे उद्देश्यों को पूरा करने की भी कोशिश करते हैं।
-सरकार ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमान हुंडी या हवाला जैसे कई तरह के गैर-कानूनी व देश विरोधी कार्यों में लिप्त हैं। इसके अलावा ये लोग दूसरे रोहिंग्या मुसलमानों के लिए नकली पहचान-पत्र बनाने का काम भी करते हैं।
-हलफनामे में सरकार ने कहा कि भारत में इनके रहने से पूर्वोत्तर क्षेत्र में अशांति बढ़ सकती है और वहां रोहिंग्या उग्रवाद का खतरा बढ़ सकता है।
-इसके अलावा केंद्र सरकार ने यह भी चिंता जताई है कि रोहिंग्या मुसलमानों की वजह से भारत में रहने वाले बौद्धों के खिलाफ हिंसा में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
-केंद्र का कहना है कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थी उग्रवादी पृष्ठभूमि से हैं, जो भारत के जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात के इलाकों में बेहद सक्रिय हैं, जिसकी वजह से देश की आंतरिक सुरक्षा को काफी खतरा हो सकता है।
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केंद्र के इस हलफनामे पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने ट्वीट कर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर 2014 से पहले तक कभी इस तरह के खतरे की बात सामने नहीं आई। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य और केंद्र के अधिकारियों की बैठकों के दौरान भी इस तरह की कोई खुफिया रिपोर्ट कभी चर्चा के लिए नहीं रखी गई। इससे पहले जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है। उन्होंने बताया था कि राज्य में इनके विरुद्ध ऐसा एक भी गंभीर मामला नहीं दर्ज है। जम्मू कश्मीर में बीजेपी महबूबा मुफ्ती की पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रही है।
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इस बीच रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति समर्थन दिखाने के चलते बीजेपी ने अपनी पार्टी की एक नेता को निलंबित कर दिया है। मामला असम बीजेपी की कार्यकारी सदस्य रहीं बेनजीर अरफान का है। 2012 में पार्टी के साथ जुड़ी अरफान तीन तलाक मामले के दौरान असम में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा थीं। अरफान ने बताया कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने व्हाट्सएप पर निलंबन पत्र भेजा। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ की गई इस कार्रवाई से उन्हें अपमानित महसूस हुआ है और वह इसे पार्टी आलाकमान के समक्ष उठाएंगी।
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बेनजीर अरफान को जारी निलंबन पत्र में कहा गया है कि ‘रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में किसी दूसरी संस्था के कार्यक्रम में आपने हिस्सा लेकर पार्टी के नियमों को तोड़ा है। पार्टी सदस्य के तौर पर आपने पार्टी से चर्चा किए बगैर म्यांमार संबंधित समस्या पर अन्य संगठन के कार्यक्रम के लिए सोशल मीडिया पर समर्थन की मांग की। आपका कार्य पार्टी के नियमों और विचारधारा के खिलाफ है, इसलिए आपको सभी जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाता है और आपको पार्टी से निलंबित किया जाता है।’
अरफान ने म्यांमार के राखिन प्रांत में धार्मिक हिंसा से विस्थापित शरणार्थियों के समर्थन में आयोजित एक बैठक में हिस्सा लिया था। यह कार्यक्रम एक गैर सरकारी संगठन संयुक्त अल्पसंख्यक पीपुल्स फोरम ने आयोजित किया था।
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