जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद दिल्ली सरकार ने केंद्र पर सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया है। दिल्ली सरकार ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जीएसटी लागू करने में केंद्र सरकार पूरी तरह से विफल रही है।
दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "केंद्र ने राज्यों से टैक्स संबंधी अधिकार छीन लिए हैं। जीएसटी लागू करते वक्त भरोसा दिया गया था कि राज्यों के नुकसान की भरपाई की जाएगी। लेकिन अब केंद्र सरकार अपनी वैधानिक जिम्मेदारी से भाग रही है।"
Published: undefined
सिसोदिया ने इसे आजादी के बाद राज्यों के साथ केंद्र का सबसे बड़ा धोखा बताया। उन्होंने कहा, "दिल्ली को कर्ज लेने का अधिकार नहीं है। वर्ष 2016-17 में जीएसटी लागू करते समय सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म बताते हुए जनता को महंगाई कम होने का सपना दिखाया गया था। राज्यों को भी रेवेन्यू बढ़ने का सपना दिखाया गया। राज्यों से 87 फीसदी टैक्स संग्रह का अधिकार केंद्र ने ले लिया और कहा कि आपको इससे अपना हिस्सा मिल जाएगा।"
Published: undefined
"जीएसटी कानून में पांच साल तक राज्यों के नुकसान की भरपाई का दायित्व केंद्र सरकार पर है। केंद्र ने भरोसा दिया था कि अगर राज्यों का रेवेन्यू कम होगा तो 14 फीसदी वृद्धि की दर से भुगतान दिया जाएगा।"
सिसोदिया ने कहा, "जीएसटी लागू होने के तीन साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन अब तक न तो महंगाई कम हुई है और न ही राज्यों का रेवेन्यू बढ़ा है। अभी कोरोना संकट के कारण सभी राज्यों का रेवेन्यू काफी कम हो गया है, तो केंद्र सरकार ने कॉम्पेनसेशन देने के बदले हाथ खड़े कर दिए हैं।"
Published: undefined
सिसोदिया ने कहा, "जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में बीजेपी शासित राज्यों सहित अनेक राज्यों ने केंद्र से नुकसान की भरपाई की मांग की। काउंसिल की सातवीं, आठवीं और दसवीं बैठक में केंद्र ने भरोसा दिया था कि राज्यों का रेवेन्यू कम होने पर भरपाई केंद्र सरकार करेगी। "
सिसोदिया ने कहा, "हम जीएसटी के पक्ष में हैं, लेकिन आज अगर जीएसटी के बदले सेलटैक्स की पुरानी व्यवस्था लागू होती, तो राज्य अपने लिए संसाधन खुद जुटा लेते। जब टैक्स वसूली के सारे अधिकार जीएटी काउंसिल ने छीन लिए हैं तो राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों को सैलरी कैसे देंगी।"
Published: undefined
दिल्ली के लिए ज्यादा परेशानी की बात है ये है कि कर्ज लेने का अधिकार सिर्फ पूर्ण राज्यों को है। दिल्ली का रेवेन्यू कलेक्शन लक्ष्य से 57 फीसदी कम है। दिल्ली में इस बार 7000 करोड़ कम टैक्स आया है और 21000 करोड़ का शॉर्टफॉल है। ऐसे में डॉक्टर्स, टीचर्स, कर्मचारियों, एमसीडी और डीटीसी वालों को सैलरी देना मुश्किल हो गया है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined