सीबीएसई परीक्षा में 12वीं के अर्थशास्त्र और 10वीं के गणित परीक्षा के पेपर लीक मामले में कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है। कांग्रेस पार्टी के संचार विभाग के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कांफ्रेंस में केंद्र सरकार की शिक्षा नीति, एचआरडी मंत्री और सीबीएसई प्रमुख की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि ये सरकार करोड़ों युवाओं की घोर अनदेखी कर एक-एक कर हमारे सभी संस्थानों को खत्म करती जा रही है। रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “अब तो ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने संस्थानों को बर्बाद करने में पीएचडी कर ली है। सबसे पहले मध्यप्रदेश में ‘व्यापमं वायरस’ फैलाया गया, उसके बाद उन्होंने एसएससी घोटाले के साथ ये वायरस पूरे देश में फैला दिया। यहां तक कि उन्होंने विद्यार्थियों को भी नहीं बख्शा। लगता है ‘एक्जाम माफिया’ को बढ़ावा देना बीजेपी की नीतियों की पहचान बन गया है।”
सुरजेवाला ने कहा कि बड़े दुख की और चौंकाने वाली बात है कि भारत के 24 लाख विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में है, क्योंकि मोदी सरकार ने आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया है कि सीबीएसई द्वारा आयोजित 12वीं की परीक्षा में ‘इकॉनॉमिक्स’ का पेपर 26 मार्च को और 10वीं बोर्ड परीक्षा का ‘मैथमैटिक्स’ का पेपर 28 मार्च को परीक्षा से एक घंटे पहले ही लीक हो गया था। उन्होंने कहा कि यह तो कुछ भी नहीं, सोशल मीडिया और अन्य समाचार माध्यमों पर तो बायोलॉजी, केमिस्ट्री और इंग्लिश के भी पेपर लीक होने की खबरें आ चुकी हैं।
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सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि इस सरकार में ‘एग्जाम माफिया’ बेरोकटोक काम कर रहा है और एचआरडी मंत्री पश्चिम बंगाल में राजनैतिक विरोधियों पर छींटाकशी करने में मशगूल हैं। उन्होंने सवाल किया, “10वीं की परीक्षा में 16.38 लाख विद्यार्थी बैठे थे, वहीं, 12वीं की परीक्षा में 8 लाख विद्यार्थी शामिल हुए, तो क्या ये सब अब श्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘रि-एग्जाम सेनानी’ हैं?”
सीबीएसई को लेकर केंद्र सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाते हुए सुरजेवाल ने बताया कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी के कार्यकाल में 2 साल तक सीबीएसई के चेयरमैन का पद रिक्त रहा। उन्होंने कहा कि लगातार आलोचनाओं के बाद 27 जुलाई, 2016 को केंद्र सरकार ने आरके चतुर्वेदी को 27 जुलाई, 2020 तक के लिए सीबीएसई का अध्यक्ष नियुक्त किया। लेकिन उसके बाद 8 सितंबर, 2017 को अनीता करवल को सीबीएसई का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया, जो गुजरात की पूर्व मुख्य निर्वाचन अधिकारी रह चुकी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि परीक्षाओं के संचालन की जिम्मेदारी संभालने की बजाए अनीता करवल अहमदाबाद में पर्वतारोहण पर अपनी किताब का प्रमोशन करने में व्यस्त थीं। उन्होंने कहा, “सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि एक समाचार में दावा किया गया है कि सीबीएसई अध्यक्ष करवल को परीक्षा आयोजित होने से एक दिन पहले गणित विषय के लीक हुए पेपर की प्रति मिल गई थी।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया, “मोदी सरकार के कार्यकाल में सीबीएसई में गोलमाल और घपलेबाजी के अनेक उदाहरण सामने आए हैं। जैसे, 2017 में 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के पेपर्स की जांच में त्रुटियां, बोर्ड परीक्षाओं में अंकों को बढ़ाए जाने की प्रथा, क्षेत्रीय भाषाओं में एनईईटी परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए कथित रूप से मुश्किल प्रश्न डालना (बंगाल और तमिलनाडु के कुछ सांसदों ने इस बारे अपनी मातृभाषा में एनईईटी परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों से पूछे गए प्रश्नों के बारे में शिकायत की थी)।” सुरजेवाला ने पूछा, “क्या यह सिर्फ इत्तेफाक है कि एसएससी और सीबीएसई में प्रमुख पदों पर बैठे अधिकारी, यानि आशिम खुराना और अनीता करवल, प्रधानमंत्री द्वारा उसी समय से पसंदीदा आईएएस अधिकारी रहे हैं जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।”
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सुरजेवाला ने कहा कि इस पूरे मामले में मोदी सरकार की नाक के नीचे ‘एग्जाम माफिया’ द्वारा सर्वोच्च एकेडेमिक संस्थानों को अपनी गिरफ्त में लेने का खुलासा हो गया है जिससे आज 24 लाख विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में है। ऐसे में मोदी सरकार को निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब देना चाहिएः
सुरजेवाला ने कहा कि अब समय आ गया है कि जब इन सब सवालों पर एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और सीबीएसई अध्यक्ष अनीता करवल को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।
प्रेस कांफ्रेंस में सुरजेवाला के अलावा कांग्रेस की संयुक्त सचिव और एनएसयूआई की प्रभारी रुचि गुप्ता और कांग्रेस की राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट रागिनी नायक भी मौजूद थीं।
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