समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का यह बयान आते ही कि वे बीएसपी के साथ गठबंधन बनाए रखने के लिए कुछ सीटों की कुर्बानी तक दे सकते हैं, लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में चर्चा चलने लगी कि बीएसपी ने समाजवादी पार्टी से किनारा कर लिया है और कांग्रेस के साथ गठजोड़ हो रहा है।
दरअसल हाल के लोकसभा उपचुनावो में एसपी-बीएसपी गठबंधन के हाथों मात खाने के लिए बाद बीजेपी खेमे में जबरदस्त खलबली है और लखनऊ में कई नेताओं के रंग उड़े हुए हैं। ऐसे में अखिलेश यादव और मायावती के हर बयान की बारीकी से समीक्षा हो रही है और अपने मतलब के अर्थ निकाले जा रहे हैं, ताकि किसी तरह इस गठबंधन को कमजोर किया जा सके।
हुआ यूं है कि हाल ही में मायावती ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि वे किसी भी गठबंधन में तब शामिल होंगी जब उन्हें सम्मानजनक संख्या में सीटें मिलेंगी। इसके बाद अचानक राजनीतिक कानाफूसी तेज हो गई कि मायावती गठबंधन खत्म कर रही हैं। कहा जाने लगा कि ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए मायावती खुद ही ऐसी अफवाहों को हवा दे रही हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस और बीएसपी के बीच मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन की बात चल रही है। साथ ही राजस्थान में भी बीएसपी का कांग्रेस के साथ गठबंधन हो सकता है। इससे इन कयासों को बल मिल रहा है कि बीएसपी का गठबंधन तो कांग्रेस के साथ ही हो सकता है।
लेकिन, बीएसपी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “बहनजी समेत सभी को पता है कि उत्तर प्रदेश में बीएसपी अकेले बीजेपी को नहीं हरा सकती। ऐसे में बीएसपी को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से गठबंधन करना ही पड़ेगा।”
दूसरी तरफ वरिष्ठ एसपी नेता प्रोफेसर सुधीर पंवार का कहना है कि विपक्ष के लिए यह ‘करो या मरो’ का सवाल है। पार्टी का इंटलेक्चुअल चेहरा माने जाने वाले सुधीर पंवार ने नेशनल हेरल्ड को बताया कि बीएसपी के लिए सीटों को त्याग करने वाले अखिलेश के बयान से साबित होता है कि वे भविष्य के नेता है। उन्हें पता है कि सभी धर्मनिरपेक्ष दलों का एकमात्र और अहम एडेंडा बीजेपी को हराना होना चाहिए। बाकी सारी बातें तो बाद में तय होती रहेंगी।
अखिलेश यादव के बयान को इस संदर्भ में देखा जा रहा है जब मायावती ने कथित तौर पर 80 में से 40 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही। कहा जा रहा है कि बीएसपी उन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है जहां 2014 में वह दूसरे नंबर पर रही थी। आंकड़ों के मुताबिक यूपी की 48 सीटें ऐसी हैं जहां बीएसपी दूसरे नंबर पर रही थी। ऐसे में अगर बीएसपी 48 सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आरएलडी के लिए सिर्फ 32 सीटें ही बचेंगी।
अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले एक नेता ने उन खबरों को भी खारिज किया जिसमें कहा जा रहा है कि बीएसपी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुकाबले, कांग्रेस को ज्यादा तरजीह दे रही है। अपना नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने बताया कि वोटों का गणित भी ऐसे दावों को सही साबित नहीं करता। उन्होंने बताया कि, “पिछले चुनाव में बीएसपी के 20 फीसदी, एसपी को 29 फीसदी और कांग्रेस को 7 फीसदी वोट मिले थे। बीजेपी को अकेले 42 फीसदी मिले थे। ऐसे में अगर बीएसपी और कांग्रेस का वोट शेयर जोड़ें तो भी आंकड़ा बीजेपी से कम ही रहेगा। ऐसे में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का संयुक्त गठबंधन ही काम करेगा।”
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