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केंद्र सरकार को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ा झटका, संशोधित आईटी नियमों को असंवैधानिक बताया

जनवरी में न्यायमूर्ति गौतम पटेल और एन. गोखले की खंडपीठ द्वारा खंडित फैसला सुनाए जाने के बाद आईटी नियमों के खिलाफ याचिकाएं न्यायमूर्ति चंदुरकर के पास भेज दी गई थीं।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैक्ट चेक यूनिट को बताया 'असंवैधानिक'
बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैक्ट चेक यूनिट को बताया 'असंवैधानिक' 

बंबई उच्च न्यायालय ने सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों का पता लगाने का प्रावधान करने वाले संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों को शुक्रवार को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया।

जनवरी में एक खंड पीठ ने संशोधित आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर खंडित निर्णय दिया था, जिसके बाद एक निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर के पास इस मामले को भेजा गया था।

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न्यायमूर्ति चंदुरकर ने शुक्रवार को कहा कि ये नियम संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैंने इस मामले पर गहनता से विचार किया है। विवादित नियम संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19(1)(जी) (व्यवसाय की स्वतंत्रता और अधिकार) का हनन करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि नियमों में ‘‘फर्जी, झूठा और भ्रामक’’ अभिव्यक्ति किसी परिभाषा के अभाव में ‘‘अस्पष्ट और इस तरह गलत’’ है।

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इस फैसले के साथ, उच्च न्यायालय ने हास्य कलाकार कुणाल कामरा और अन्य द्वारा नये नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। इन नियमों में, सरकार के बारे में फर्जी या झूठी सामग्री की पहचान करने के लिए एक तथ्य जांच इकाई (एफसीयू) स्थापित करने का प्रावधान भी शामिल है।

जनवरी में न्यायमूर्ति गौतम पटेल और एन. गोखले की खंडपीठ द्वारा खंडित फैसला सुनाए जाने के बाद आईटी नियमों के खिलाफ याचिकाएं न्यायमूर्ति चंदुरकर के पास भेज दी गई थीं।

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न्यायमूर्ति पटेल ने कहा था कि ये नियम ‘सेंसरशिप’ के समान हैं, लेकिन न्यायमूर्ति गोखले ने कहा था कि इनका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। न्यायमूर्ति चंदुरकर ने शुक्रवार को कहा कि वह न्यायमूर्ति पटेल (अब सेवानिवृत्त) द्वारा दी गई राय से सहमत हैं।

केंद्र सरकार ने 6 अप्रैल 2023 को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 में संशोधनों को लागू किया था, जिसमें सरकार से संबंधित फर्जी, झूठी या भ्रामक ऑनलाइन सामग्री को चिह्नित करने के लिए ‘एफसीयू’ का प्रावधान किया जाना भी शामिल था।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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