बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नरोदा ग्राम दंगा मामले में आज गुजरात की एक अदालत में अपनी गवाही दर्ज कराई। शाह ने अपनी गवाही में पूर्व मंत्री माया कोडनानी का बचाव किया है। नरोदा ग्राम मामले की सुनवाई के लिए गठित विशेष एसआईटी कोर्ट से शाह ने कहा कि दंगे के समय माया कोडनानी विधानसभा में मौजूद थीं। जानकारी के अनुसार शाह ने अपनी गवाही में कहा कि वह 28 फरवरी की सुबह विधानसभा पहुंचे थे, जहां अध्यक्ष के साथ सदन के सभी सदस्य मौजूद थे और कोडनानी भी उस समय वहीं मौजूद थीं। शाह ने कहा कि सदन में गोधरा कांड में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी गयी थी। शाह ने कोर्ट को आगे बताया कि विधानसभा के बाद वह सोला सिविल अस्पताल गए थे जहां गोधरा कांड के पीड़ितों का शव लाया गया था। उन्होंने कहा कि अस्पताल दौरे पर उन्होंने कोडनानी को नहीं देखा, लेकिन अस्पताल से बाहर निकलते समय वह वहां मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि सुबह 9:30 से लेकर 9:45 तक वह सिविल अस्पताल में थे और माया कोडनानी से वहां मिले थे। उन्होंने बताया कि कोडनानी और उन्हें उनकी कारों तक पुलिस जीप से ले जाया गया था। शाह ने कोर्ट में जोर देकर कहा कि दंगे के दिन माया कोडनानी नरोदा गाम में मौजूद नहीं थीं।
Published: 18 Sep 2017, 2:27 PM IST
2002 के नरोदा गाम दंगा मामले की सुनवाई कर रही स्पेशल एसआईटी अदालत ने माया कोडनानी की अपील पर अमित शाह को उनके बचाव के लिए गवाह के रूप में पेश होने के लिए समन जारी किया था। कोडनानी ने अपने बचाव में कहा था कि घटना के दिन वह विधानसभा के सत्र में भाग लेने के बाद सोला सिविल अस्पताल गई थीं, जहां शाह भी मौजूद थे। उन्होंने दावा किया था कि शाह, जो उस वक्त विधायक थे, वे भी अस्पताल में मौजूद थे और शाह की गवाही उनकी बेगुनाही साबित करने में मददगार होगी।
Published: 18 Sep 2017, 2:27 PM IST
गुजरात दंगों पर आधारित किताब ‘गुजरात फाइल्स’ लेखिका राणा अय्यूब ने अमित शाह की गवाही पर अपनी किताब से कुछ अंश ट्वीट किये हैं।
कोर्ट ने अप्रैल में ही कोडनानी की उस याचिका को मंजूर कर लिया था, जिसमें उन्होंने शाह और कुछ अन्य को अपने गवाह के तौर पर पेश करने का अनुरोध किया था। इससे पहले कोडनानी ने अदालत को बताया था कि वह कई कोशिशों के बाद भी शाह से संपर्क कर पाने में विफल रही हैं। दंगों के समय वह एक विधायक थीं। बाद में वह तत्कालीन मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री बनीं। 2009 में गिरफ्तार होने तक वह इस पद पर थीं।
नरोदा गाम में हुए दंगे मामले में कोडनानी मुख्य आरोपियों में से एक हैं। अहमदाबाद के उपनगर नरोदा गांव में 2002 में भड़के दंगे के दौरान 11 मुसलमानों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कुल 82 लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं। इससे पहले नरोदा पाटिया दंगे में लगभग 100 मुसलमानों की नृशंस हत्या के आरोप में कोडनानी को दोषी ठहराते हुए 28 साल की सजा सुनायी गयी है। उसी दिन वहां से 10 किमी दूर नरोदा गांव में दंगों के दौरान 11 मुसलमानों की हत्या का यह मामला अभी विशेष एसआईटी अदालत में विचाराधीन है। कोडनानी को 2014 में खराब सेहत के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। फिलहाल उन्होंने इस सजा को अदालत में चुनौती दे रखी है।
Published: 18 Sep 2017, 2:27 PM IST
Published: 18 Sep 2017, 2:27 PM IST
सबसे बड़ा सवाल यह है कि माया कोडनानी आखिर अमित शाह को अपनी बेगुनाही के गवाह के तौर पर क्यों पेश करना चाहती थीं? और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आखिर क्यों अब तक कोडनानी के मसले पर चुप रहे। गुजरात में यह आम चर्चा है कि अमित शाह और माया कोडनानी के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे। दोनों को अलग-अलग ध्रुवों का माना जाता है। लेकिन इसके बावजूद आज अमित शाह को अदालत आकर कोडनानी के बचाव में गवाही देनी ही पड़ी। हालांकि समन जारी करते समय अदालत ने कहा था कि अगर शाह तय तारीख पर नहीं पेश होते हैं तो उन्हें फिर से समन नहीं भेजा जाएगा। इसके बावजूद भी शाह कोडनानी के बचाव में अदालत में पेश हुए। कई लोग इसको लेकर भी कयास लगा रहे हैं कि क्या अमित शाह को किसी दबाव की वजह से कोडनानी के बचाव में अदालत में आना पड़ा। क्या कोडनानी के पास ऐसा कुछ है जिससे अमित शाह या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भविष्य में परेशानी खड़ी हो सकती है। गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार के दौरान अमित शाह और माया कोडनानी काफी ताकतवर माने जाते थे। कोडनानी दंगों के केस में अभी तक उलझी हुई हैं जबकि अमित शाह लगभग तमाम आरोपों से निकल कर बीजेपी के सबसे ताकतवर नेता के तौर पर केंद्र में स्थापित हो चुके हैं।
Published: 18 Sep 2017, 2:27 PM IST
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Published: 18 Sep 2017, 2:27 PM IST