असम के सिंचाई मंत्री रंजीत दत्ता और बीजेपी के सांसद आरपी सरमा के बीच चल रही जुबानी जंग ने पार्टी को असहज स्थिति में डाल दिया है। राज्य में तेजपुर से लोकसभा सांसद सरमा ने दत्ता पर अपने विभाग के काम के आंवटन के एवज में ठेकेदारों से रिश्वत लेने का आरोप लगाया है।
सांसद ने असम के कुछ अन्य मंत्रियों पर भी काम के आंवटन के बदले में 10 फीसदी कमीशन लेने का आरोप लगाया है और उनके आरोपों की जांच कराने की मांग की है।
सरमा ने कहा, "हमारी सरकार सत्ता में जनता के भरोसे की वजह से आई थी। हमें उस विश्वास को बनाए रखना है। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल एक साफ छवि के नेता हैं और उन्हें आरोपों की जांच करानी चाहिए।"
दत्ता ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "लोकसभा सांसद के बयान से पार्टी और असम सरकार की छवि प्रभावित होगी और लोगों में सरकार की नकरात्मक छवि बनेगी।"
उन्होंने कहा, "जब लोग अपना प्राकृतिक संतुलन खो देते है और तनाव से ग्रस्त होते हैं, तो वे ऐसे ही आधारहीन बयान देते हैं।" उनका यह भी कहना थी कि वे असम में पार्टी नेतृत्व को इस बारे में लिखित शिकायत देंगे।
अब आरपी सरमा के बयान की हकीकत जो भी हो, लेकिन बीजेपी को दोनों स्थितियों में नुकसान झेलना पड़ सकता है। अगर सरमा की बात सच साबित होती है तो बीजेपी के बड़े नेता भ्रष्टाचार के मामले में फंस सकते हैं। अगर उनकी बात गलत साबित होती है तो यह बीजेपी के भीतर चल रहे एक बड़े अंदरूनी संकट की तरफ इशारा करता है। जरूरत इस बात की है कि सरमा के आरोपों की जांच हो और सच्चाई सबके सामने आए।
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