जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में बीते साल आज ही के दिन हुए आतंकी हमले की बरसी पर आज पूरे देश में शहीदों को याद किया जा रहा है और श्रद्धांजलि दी जा रही है। लेकिन आज शहीदों को याद करते हुए उनके परिजनों में सरकार और राजनीति को लेकर टीस साफ देखी जा सकती है। आरोप है कि पुलवामा की घटना के बाद आए लोकसभा चुनाव के दौरान तो बीजेपी नेता शहीदों के परिजनों को साथ मंच पर बिठाते और घूम-घूम कर बड़े वादे कर रहे थे, लेकिन चुनाव बाद इन नेताओं को न तो कोई वादा याद रहा और न ही शहीद की शहादत।
जनसत्ता की खबर के अनुसार भागलपुर के रतनगंज गांव के रहने वाले पुलवामा के शहीद रतन ठाकुर के परिजनों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। खबर के अनुसार आज बरसी पर शहीद रतन ठाकुर को गांव वालों ने श्रद्धांजलि दी। शहीद सपूत की याद में गांव में तोरण द्वार बनाया गया और पंडाल लगाकर एक कार्यक्रम में रतन ठाकुर की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उनकी शहादत को याद किया गया।
Published: 14 Feb 2020, 6:04 PM IST
इस पूरे कार्क्रम के दौरान पूरे गांव का माहौल गमगीन रहा। इस दौरान लोगों में राज्य सरकार और बीजेपी नेताओं को लेकर भी नाराजगी देखी गई। गमगीन माहौल में ही गांव वालों ने रतन ठाकुर की शहादत पर राज्य सरकार द्वारा किए गए अपने वादे पूरे नहीं करने को लेकर आरोप लगाए। गांव वालों का आरोप है कि राज्य सरकार ने गांव में शहीद रतन का स्मारक, उनके नाम पर गांव का द्वार, कॉलेज और स्कूल का नाम शहीद के नाम करने जैसे वादे किए थे, चुनाव बीत जाने के बाद कोई झांकने तक नहीं आया।
इस दौरान शहीद रतन ठाकुर के पिता रामनिरंजन ठाकुर ने इस बात पर दुख जताया कि पुलवामा आतंकी हमला में 40 से ज्यादा सीआरपीएफ जवानों ने अपनी जांव गंवा दी, लेकिन उनको लेकर किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं किए गए हैं। शहीद के पिता ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के दौरान यहां गांव में नेताओं का तांता लगा रहता था। बीजेपी ने कई चुनावी कार्यक्रम यहां आयोजित किए, जिसमें उन्हें मंच पर नेताओ के साथ बिठाया गया। उनके सामने मंच से बड़े-बड़े वादे किए गए। शहीद के पिता ने बताया कि खुद मुख्यमंत्री हेलीकाप्टर से गांव आए थे, लेकिन सभी अपने वादे भूल गए।
Published: 14 Feb 2020, 6:04 PM IST
हालांकि, खबरे के मुताबिक शहीद रतन ठाकुर की पत्नी को सरकार द्वारा घोषित आर्थिक मदद का चेक भी मिला है और शहीद के भाई को ज़िले के सरकारी दफ्तर में नौकरी भी दी गई है। लेकिन परिवार का कहना है कि समाज में सम्मान देने के जो वादे किए गए थे, ताकि शहीद का नाम अमर रह सके, वे पूरे नहीं किए गए। परिजनों का साफ कहना है कि जब शहीदों को सार्वजनिक सम्मान नहीं देना था तो सरकार या राजनीतिक दलों ने वादे क्यों किए, वो भी चुनाव के समय।
Published: 14 Feb 2020, 6:04 PM IST
हालांकि राजनीतिक दलों की वादाखिलाफी और सरकार की अनदेखी के बावजूद शहीद रतन ठाकुर के परिजनों के अंदर आज भी देशभक्ति का जज्बा उसी तरह कायम है। शहीद रतन की पत्नी अपने पति की शहादत पर आज भी गुस्से में है और उसका साफ कहना है कि मोदी सरकार इश जवानों की शहादत का पाकिस्तान से बदला ले। शहीद रतन ठाकुर का एक पांच साल का बेटा है और वो अभी से फौज में जाने की इच्छा रखता है। वह कहता है कि वह बड़ा होकर अपने पिता की मौत का बदला लेगा।
Published: 14 Feb 2020, 6:04 PM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 14 Feb 2020, 6:04 PM IST