‘बीजेपी अति आत्मविश्वास के कारण हार गई, और हम इसे दुरुस्त करेंगे।’ अपने ही गढ़ गोरखपुर और डिप्टी सीएम की सीट फूलपुर हारने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बयान दिया था। इस बयान के बाद माना जा रहा था कि बीजेपी ने जो गलतियां गोरखपुर और फूलपुर में की हैं, उनसे सबक लिया होगा, और अगले किसी चुनाव में उसकी हालत गोरखपुर जैसी नहीं होगी। लेकिन कैराना और नूरपुर में बीजेपी को फिर से हार का मुंह देखना पड़ा है।
कैराना और नूरपुर के नतीजों ने अब योगी आदित्यनाथ की काबिलियत पर बहुत बड़ा सवालिया निशाना लगा दिया है। इस सीट को जीतने के लिए बीजेपी ने क्या कुछ नहीं किया। और उसे जीत का भरोसा भी था, क्योंकि कैराना जीतने के लिए जाटों का भरोसा जीतना जरूरी होता है, और बीजेपी काफी हद तक इसमें कामयाब भी हो गई थी। बीजेपी ने मुजफ्फरनगर दंगों में जाटों के खिलाफ मामले वापस लेने का कार्ड भी खेल दिया था। जिससे जाटों में मुसलमानों के खिलाफ वोट देने और बीजेपी के साथ खड़े होने की गुंजाइश दिखने भी लगी थी। वैसे भी पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जाटों ने बीजेपी का ही साथ दिया था।
दूसरी तरफ आरएलडी के जाट नेता अजीत सिंह भी पूरे दमखम के साथ इस चुनाव में जुटे थे। उन्होंने इस चुनाव को अपने अस्तित्व की लड़ाई बना लिया था। संयुक्त विपक्ष ने यहां जो उम्मीदवार उतारा था, वह भी आरएलडी का ही था। ऐसे में जाट असमंजस में थे कि वो अजीत सिंह के साथ जाएं या बीजेपी के।
प्रचार के आखिरी दिनों तक माहौल कभी बीजेपी के पक्ष में तो कभी आरएलडी यानी संयुक्त विपक्ष के पक्ष में जाता दिख रहा था। इसी दौरान कैराना के लिए प्रचार करने पहुंचे योगी ने कुछ ऐसा बोल दिया कि कैराना और नूरपुर बीजेपी के हाथ से फिसल गया।
चर्चा है कि शामली में अपनी आखिरी रैली में योगी आदित्यनाथ ने वह गलती की जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा है। इस रैली में योगी ने कहा था, ‘‘बाप-बेटा आज वोटों के लिए गली-गली भीख मांग रहे हैं।’’
यहां बाप-बेटा से योगी का अर्थ अजित सिंह और जयंत चौधरी से था। एक गैर जाट के मुंह से अपनी ही कौम के नेता के बारे में ऐसे शब्द, जाटों को बिल्कुल पसंद नहीं आए। कहा जाता है कि जाटों को लगा कि बाहर का एक आदमी उनके घर में आकर उनके अपने भाई और बेटे की बेइज्जती कर रहा है।
यह तथ्य सब जानते हैं कि जाट बिरादरी जितनी अक्खड़ और तेवर वाली होती है, उतनी भावुक और अपनी कौम को लेकर संवेदनशील भी होती है। कैराना में आम चर्चा शुरु हो गई कि यह बात किसी जाट नेता ने कही होती तो कोई बात नहीं थी, भले ही वह बीजेपी का ही होता। लेकिन बाहर का एक आदमी जाटों के नेता के बारे में ऐसा बोल गया, यह बात जाटों को गहरे तक चुभ गई। बस योगी के इसी बयान ने रातों-रात जाटों को बीजेपी के खिलाफ और आरएलडी की उम्मीदवार तबस्सुम हसन के पक्ष में लामबंद कर दिया। और नतीजा सबके सामने है।
गौरतलब है कि तबस्सुम हसन के लिए अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत सिंह ने घर-घर जाकर वोट मांगे थे। उन्होंने बार-बार बिरादरी को याद दिलाया कि यह बिरादरी की अस्मिता और सम्मान की लड़ाई है। अजीत सिंह की इन बातों ने योगी के बयान पर आग में घी का काम किया और बीजेपी फिर अति आत्मविश्वास के चलते परास्त हो गई।
Published: undefined
यह तथ्य सब जानते हैं कि जाट बिरादरी जितनी अक्खड़ और तेवर वाली होती है, उतनी भावुक और अपनी कौम को लेकर संवेदनशील भी होती है। कैराना में आम चर्चा शुरु हो गई कि यह बात किसी जाट नेता ने कही होती तो कोई बात नहीं थी, भले ही वह बीजेपी का ही होता। लेकिन बाहर का एक आदमी जाटों के नेता के बारे में ऐसा बोल गया, यह बात जाटों को गहरे तक चुभ गई। बस योगी के इसी बयान ने रातों-रात जाटों को बीजेपी के खिलाफ और आरएलडी की उम्मीदवार तबस्सुम हसन के पक्ष में लामबंद कर दिया। और नतीजा सबके सामने है।
गौरतलब है कि तबस्सुम हसन के लिए अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत सिंह ने घर-घर जाकर वोट मांगे थे। उन्होंने बार-बार बिरादरी को याद दिलाया कि यह बिरादरी की अस्मिता और सम्मान की लड़ाई है। अजीत सिंह की इन बातों ने योगी के बयान पर आग में घी का काम किया और बीजेपी फिर अति आत्मविश्वास के चलते परास्त हो गई।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined