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बिहारः नीतीश के ड्रीम प्रोजेक्ट पर सवाल, डिप्टी CM के बहू और रिश्तेदारों को मिले 36 ठेके, इन नेताओं के करीबियों की भी चांदी

नीतीश सरकार का दावा है कि ‘हर घर नल का जल’ योजना ने अपना लक्ष्य 95 फीसदी तक हासिल कर लिया था। लेकिन एक रिपोर्ट से पता चलता है कि इस योजना का लाभ आम लोगों से ज्यादा सरकार में शामिल लोगों और उनके रिश्तेदारों को मिला है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक 'हर घर नल का जल' स्कीम की शुरुआत पांच साल पहले हुई थी। इसके तहत सभी के घरों में नल के माध्यम से पीने का पानी उपलब्ध कराना था। नीतीश सरकार का दावा है कि इस योजना ने अपना लक्ष्य 95 फीसदी तक हासिल कर लिया था। लेकिन एक रिपोर्ट से पता चलता है कि इस योजना का लाभ आम लोगों से ज्यादा सरकार में शामिल लोगों और उनके रिश्तेदारों को मिला है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इस स्कीम से जरूरतमंदों को टंकी से पानी तो मिला, लेकिन साथ ही साथ इसके जरिए बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर के परिवार, सहयोगियों को 53 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट भी मिले।

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार राज्य में 'सुशासन' के दावे करते हैं, लेकिन इस तरह सरकारी योजनाओं का लाभ मंत्री और नेताओं के परिवार को मिलने से उनके दावे पर सवाल उठता है। खबर के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट के जरिए फायदा लेने वाली लिस्ट में सबसे पहला नाम बीजेपी विधायक दल के नेता और बिहार डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद का आता है। इसके अलावा लिस्ट में प्रदेश के जेडीयू और बीजेपी के कुछ और नेता भी हैं।

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प्रोजेक्ट को पाने वालों में तारकिशोर प्रसाद की बहू पूजा कुमारी और उनके पत्नी के भाई प्रदीप कुमार भगत की दो कंपनियां भी शामिल हैं। प्रसाद के करीबियों प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार की कंपनियों को भी इस योजना से जुड़े प्रोजेक्ट आवंटित किए गए हैं। जांच में पता चला है कि कटिहार में भवदा पंचायत के सभी 13 वार्डों में पूजा कुमारी और प्रदीप कुमार भगत की कंपनी को ठेका दिया गया।

द इंडियन एक्सप्रेस ने बिहार के 20 जिलों में इस योजना के काम के आवंटन को लेकर पड़ताल की है। जिसमें ये खुलासा हुआ है कि इस योजना का ठेका सत्ताधारी पार्टी के लोगों को खुब मिला। द इंडियन एक्सप्रेस ने काम के आवंटन को लेकर सामने आ रहे तथ्यों पर बिहार के 20 जिलों में संबंधित दस्तावेजों की पड़ताल की और उनका मिलान रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) और (पीएचईडी) द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड के साथ किया। इतना ही नहीं द इंडियन एक्सप्रेस ने उन परियोजना स्थलों का भी दौरा किया, जहां राजनीतिक संबंधों के आधार पर ठेके आंवटित किए गए गए थे। इसमें काम कर रहे कई ठेकेदारों और इस योजना के लाभार्थियों से बातचीत की गई।

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आवंटन को लेकर जुटाई गई जानकारियों से पता चला है कि, 2019-20 में बिहार के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (पीएचईडी) की तरफ से कटिहार जिले के कम से कम नौ पंचायतों के कई वार्डों में पीने योग्य पानी की 36 परियोजनाओं का आवंटन किया गया। यह वह क्षेत्र है जहां से डिप्टी सीएम प्रसाद चार बार विधायक भी रहे हैं। इसमें भवदा पंचायत के सभी 13 वार्डों में योजना का काम पूजा कुमारी और भगत की कंपनी को दिया गया। कटिहार में योजना पर काम कर रहे अधिकारियों ने खुद का नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि इस क्षेत्र में काम करने का पूजा कुमारी के पास पहले से कोई अनुभव नहीं है।

हालांकि उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को इसमें कुछ गलत नहीं लगता। उन्होंने कहा, आवंटन देने में निजी और राजनीतिक संबंधों का ध्यान नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि योजना के कामों के आवंटन के दौरान वे कटिहार से विधायक थे और नवंबर 2020 में बिहार के उपमुख्यमंत्री बने।

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अंग्रेजी अखबार द्वारा संपर्क किए जाने पर बिहार के पीएचईडी मंत्री और बीजेपी नेता राम प्रीत पासवान ने कहा कि उन्होंने ऐसे मामलों के बारे में सुना है, लेकिन उप मुख्यमंत्री के परिवार और सहयोगियों को दिए गए ठेकों के बारे में नहीं। उन्होंने कहा, 'लोगों को आगे आने और इसके बारे में शिकायत करने की ज़रूरत है। यदि ठेकेदारों के पास इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि नौकरशाही या राजनीतिक प्रभाव वाले किसी अन्य व्यक्ति को ठेका मिला है तो वे हमसे शिकायत कर सकते हैं। मेरे पीएचईडी मंत्री बनने से पहले सभी ठेके दिए गए थे। इसकी शिकायतें भी हैं कि कुछ इंजीनियरों ने अपने पसंदीदा लोगों को ठेका दिया है।'

पीएचईडी सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, 'निविदा और बोली लगाने की एक मानक प्रक्रिया है। जो कंपनी या ठेकेदार सबसे कम बोली लगाता है उसे ठेका मिलता है।' यह पूछे जाने पर कि क्या विभाग को ठेके देने में राजनीतिक संरक्षण के बारे में कोई शिकायत मिली है तो श्रीवास्तव ने कहा कि 'नहीं'। कटिहार में पीएचईडी के पूर्व कार्यकारी अभियंता शंकर ने कहा है कि पूजा कुमारी, दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्चर और जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर को विधिवत ठेके दिए गए थे।

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