पीएमसीएच के डॉक्टरों की लापरवाही एक बार फिर बाहर आयी है। जितेंद्र नाम के एक शख्स ने 11 अप्रैल को देर रात अपनी बेटी को पीएमसीएच के शिशु विभाग में इलाज के लिए भर्ती करवाया था। डॉक्टरों ने बच्ची को देखने बाद उसे हृदय में पानी होने की बीमारी बताया। 12 अप्रैल की सुबह बच्ची को विशेष जांच के लिए इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (आइजीआइसी ) रेफर कर दिया गया। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने मरीज और उनके परिजनों को न तो एंबुलेंस दिया और न ही ई रिक्शा की व्यवस्था की। जबकि इस तरह के मरीजों के लिए एंबुलेंस और ई रिक्शा की व्यवस्था अस्पताल प्रशासन की तरफ से मौजूद है।
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शिशु विभाग ने आइजीआइसी भेजते समय परिजनों के हाथों में ही ऑक्सीजन गैस का सिलिंडर थमा दिया। परिजन बच्ची को गोद में लिए हाथों में ऑक्सीजन का सिलेंडर टांगकर आइजीआइसी ले जा रहे थे। इसी दौरान रास्ते में ही बच्ची की मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों का आक्रोश भड़क गया। परिजनों का आरोप है कि 50 रूपये नजराना नहीं देने पर टेक्निशियन ने ऑक्सीजन सिलेंडर को चालू ही नहीं किया। इस वजह से बच्ची की मौत हो गई। जबकि दूसरी ओर शिशु विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि बच्ची की तबीयत पहले से ही काफी खराब थी। यहां पर उसे बचाने की कोशिश की गई, लेकिन बच्ची को नहीं बचाया जा सका।
इस घटना से 20 दिन पहले भी इसी तरह की एक घटना पीएमसीएच में हुई थी। जिसपर स्वास्थ्य विभाग ने कॉलेज प्रशासन को जमकर फटकार लगाई थी। पीएमसीएच में एक बच्चे को भर्ती कराया गया था, जिसे डॉक्टरों ने हृदय में परेशानी की बात बताई और हृदय की जांच के लिए इंदिरा बच्चे को गांधी हृदय रोग संस्थान में भेज दिया। लेकिन मरीज के लिए एंबुलेंस की कोई व्यवस्था नहीं की गई। बच्चे की गंभीर स्थिति होने के कारण ऑक्सीजन लगा हुआ था। उसे ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ ही आइजीआइसी भेजा गया। परिजनों को अपने हाथों में ही सिलेंडर टांगकर ले जाना पड़ा था। परिजनों का आरोप था कि अस्पताल प्रशासन से एंबुलेंस की मांग की गई थी,लेकिन एंबुलेंस नहीं दिया गया। विवश होकर बच्चे को गोद में लेकर जाना पड़ रहा है।
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