बिहार में बीजेपी के साथी और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से सहमत नहीं हैं। पटना में एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में नीतीश ने यह भी कहा कि देश में आरएसएस का जनाधार लगातार बढ़ा है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
जहां नीतीश कुमार ने कहा कि वे आरएसएस के विचारों से सहमत नहीं हैं, वहीं यह बात भी स्वीकार किया कि वे महात्मा गांधी और राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण के विचारों से प्रभावित हैं। राम मंदिर के मुद्दे पर भी नीतीश ने आरएसएस के उलट बयान दिया। उन्होंने कहा किअयोध्या में राम मंदिर का निर्माण या तो अदालत के फैसले के बाद होना चाहिए या फिर आपसी सहमति से बनना चाहिए। जबकि आरएसएस यह मांक कर चुकी है कि राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार अध्यादेश लाए।
पहले बीजेपी का साथ छोड़ा था, अब फिर बीजेपी के साथ क्यों? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि परिस्थितियों और सोच में परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम कर रहा हूं। परिस्थितियां बदल गई हैं। भारतीय जनता पार्टी हमारी पुरानी सहयोगी रही है, लेकिन कुछ मुद्दों पर जो स्टैंड हमारा पुराना था, आज भी वही है।”
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राफेल के सवाल नीतीश कुमार असहज दिखे, लेकिन उन्होंन इस पर मोदी सरकार बचाव किया।राफेल सौदे में गड़बड़ी को लेकर क्या केंद्र सरकार को क्लिनचिट देंगे? इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, “मैं इतना बड़ा अदमी नहीं कि किसी को क्लिनचिट दूं या नहीं दूं। इसका अधिकार मैं नहीं रखता। राफेल विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय फैसला दे चुका है और संसद में बहस हो गई है तो इसकी चर्चा अब बंद होनी चाहिए।”
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