बिहार में चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल मरीजों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। लगभग सभी जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने की वजह से बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि राजधानी पटना में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है। लगातार तीन दिन से अपनी मांगे पूरी किये जाने को लेकर धरने पर बैठे डॉक्टरों के अभाव में अस्पतालों में मरीजों की मौत का सिलसिला जारी है।
दरअसल बिहार के मेडिकल कॉलेजों में पीजी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के छात्रों के नामांकन के विरोध में राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया है। पटना के पीएमसीएच में मरीजों के हालात बिगड़ने के बावजूद भी वहां के डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म नहीं की और इलाज के अभाव में अब तक 15 मरीजों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा अस्पताल में मौजूद सैंकड़ों मरीजों का जीवन अधर में लटका हुआ है। परिवार वालों के लाखों आग्रह करने के बाद भी अस्पताल में कोई उनकी सुनने वाला नहीं है और लोग असहाय स्थिति में अपनी आंखों के सामने अपने प्रियजनों को मरते देखने के लिए मजबूर हैं।
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सड़क हादसे में घायल अपने पिता को इलाज के लिए जहानाबाद से पटना लेकर पहुंचे एक शख्स ने बताया कि हादसे के बाद उन्हें पटना रेफर किया गया था, लेकिन यहां पहुंचने पर उनका कोई इलाज नहीं हुआ और उसकी आंखों के सामने ही उसके पिता की मौत हो गयी। अस्पताल में मौजूद एक अन्य परिजन ने बताया कि हड़ताल की वजह से उनके बेटे की मौत हो गयी। उन्होंने कहा कि वह उनका इकलौता बेटा था और एमसीए की पढ़ाई कर रहा था।
बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा और पटना के सभी सरकारी अस्पतालों में हड़ताल की वजह से मरीजों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिहार में मुख्य रूप से जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि एम्स के छात्रों का बिहार में पीजी काउंसिलिंग न किया जाए और सीनियर रेजिडेंट की आयु सीमा को बढ़ाया जाए।
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