भारत में स्वच्छ परिवहन के मामले में भोपाल और कोलकाता सबसे बेहतर हैं। देश के अन्य बड़े शहरों के मुकाबले यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट से कम प्रदूषण फैलता है। यह बात शुक्रवार को जारी हुए सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) के शोध में सामने आई। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली सीएसई ने राजधानी दिल्ली समेत देश के 14 बड़े शहरों में वाहनों की वजह से होने वाले कार्बन उत्सर्जन पर किये गए शोध के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की है। इस शोध में सीएसई ने यह समझने के लिए 14 शहरों का मूल्यांकन किया कि इन शहरों में परिवहन के लिए लोगों द्वारा जिन साधनों का इस्तामल होता है, उनका वायु प्रदूषण और ऊर्जा खपत में किस तरह का योगदान है। देश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मामले में अव्वल रहने के बाद भी इस शोध में दिल्ली सबसे निचले स्थान पर है।
रिपोर्ट में शहरी परिवहन के मामले में सबसे कम उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग के लिए भोपाल सबसे शीर्ष पर है। लोगों के सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल और पैदल चलने की वजह से कोलकाता और मुंबई देश के 6 महानगरों के मुकाबले कम उत्सर्जन करते हैं। सार्वजनिक परिवहन के साधनों के सबसे ज्यादा होने के बावजूद लोगों की अधिक संख्या और निजी वाहनों के कारण दिल्ली में उत्सर्जन के साथ ईंधन की खपत सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई का प्रदर्शन भी खराब है। इन शहरों में दिल्ली की तुलना में सार्वजनिक परिवहन के साधन बहुत कम हैं, उसके बावजूद इनका प्रदर्शन दिल्ल से बेहतर इसलिए रहा क्योंकि कम जनसंख्या के कारण यहां परिवहन कम है। इन शहरों में जनसंख्या बढ़ने के साथ अगर पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में स्थिति और भी खराब हो सकती है। शोध के मुताबिक भारत में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले परिवहन क्षेत्र से ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है।
शुक्रवार को कोलकाता में रिपोर्ट जारी करते हुए सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा, ''इस रैंकिंग से साबित होता है कि साफ परिवहन और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए शहरों को बेहतर नीति की जरूरत है। शहरों का पर्यावरण स्वच्छ रखने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ साइकिल और पैदल चलने को बढ़ावा देना चाहिए।” उन्होंने कहा कि निजी वाहनों से निकल रहीं ग्रीनहाउस गैसों से प्रदूषण फैल रहा है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। शहरी परिवहन के लिए निजी वाहनों पर बढ़ती निर्भरता से काफी नुकसान हो सकता है।
Published: 25 Aug 2018, 6:29 AM IST
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Published: 25 Aug 2018, 6:29 AM IST