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भीमा-कोरेगांव हिंसाः दलित नेताओं के घरों-दफ्तरों पर पुलिस के छापे को प्रकाश अंबेडकर ने बताया ‘उत्पीड़न’

साल की शुरुआत में महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा को लेकर राज्य पुलिस ने कई दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के दौरान आगजनी

इस साल 1 जनवरी को महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में हुए दंगे के मामले में राज्य पुलिस ने कई शहरों में प्रसिद्ध दलित नेताओं-कार्यकर्ताओं के घरों और कार्यालयों पर 17 अप्रैल की सुबह ताबड़तोड़ छापेमारी की। पुलिस ने तड़के 5 बजे से छापेमारी की कार्रवाई शुरू की। पुणे पुलिस के कई समूहों ने मुंबई, पुणे और नागपुर में कई दलित कार्यकर्ताओं के घरों और कार्यालयों में छापे मारे।

पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित यलगार परिषद कार्यक्रम में शामिल हुए या उससे संबंधित लोगों के खिलाफ भी सख्त रवैया अपनाया है। इस परिषद को गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू के नेता उमर खालिद, छत्तीसगढ़ की समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और भीम आर्मी के अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने संबोधित किया था।

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इस सिलसिले में पुणे पुलिस ने नागपुर के प्रसिद्ध वकील सुरेंद्र गडलिंग के घर पर भी छापा मारा और तलाशी ली। सुरेंद्र गडलिंग विभिन्न न्यायालयों में कई कथित नक्सलियों का केस लड़ रहे हैं।

पुलिस ने यलगार परिषद के संबंध में वामपंथी संगठन कबीर कला मंच और रिपब्लिकन पैंथर्स पार्टी के परिसरों और रमेश गेचर और सागर गोरखे जैसे नेताओं के ठीकानों पर छापा मारा। महाराष्ट्र पुलिस ने मुंबई में सुधीर धवले और हर्षाली पोटदार जैसे वामपंथी कार्यकर्ताओं के आवासों पर भी छापेमारी की। पुलिस के पास इन सभी स्थानों पर छापेमारी के लिए तलाशी वारंट थे।

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पुलिस की इस कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने इसे सरकार की 'उत्पीड़न और ध्यान भटकाने वाली रणनीति' बताया है। उन्होंने कहा, "सरकार कोरेगांव-भीमा दंगा भड़काने के मुख्य आरोपी संभाजी भिड़े ऊर्फ गुरुजी को गिरफ्तार करने के स्थान पर इस तरह के ध्यान भटकाने वाली कार्रवाई कर रही है।" संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के परपोते प्रकाश अंबेडकर ने कहा, "पुलिस ने मिलिंद एकबोटे को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अभी तक भिड़े को गिरफ्तार नहीं किया गया है।"

गौरतलब है कि पुणे के शनिवारवड़ा में 31 दिसंबर 2017 को यलगार परिषद कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसके बाद 1 जनवरी को कोरेगांव-भीमा गांव में जुलूस निकाल रहे दलित समुदाय के लोगों पर कथित अगड़ी जाति के लोगों ने हमला कर दिया, जिसके बाद दंगा भड़क गया और फिर इसके बाद हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई। घटना के विरोध में 3 जनवरी को अंबेडकर और अन्य पार्टियों ने महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया था।

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