'भारत बंद' पंजाब में बेहद प्रभावी रहा है। तमाम जिलों में इसका जबरदस्त असर हुआ। बुधवार की सुबह तमाम जिलों और कस्बों में बड़ी तादाद पर लोग सड़कों पर आए और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जनजीवन एकबारगी पूरी तरह से थम गया। कहीं से हिंसा की कोई खबर नहीं है। अलबत्ता ट्रेनों और बसों के पहिए जाम हो गए। बैंकों में काम स्थगित रहा और तमाम विश्वविद्यालयों के मुख्य द्वार पर भी तालाबंदी रही।
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CAA, NRC, JNU और जामिया की घटनाओं के खिलाफ पंजाब में बड़े पैमाने पर एकजुटता देखने को मिली। अमृतसर में विभिन्न ट्रेड यूनियनों, वामपंथी, विद्यार्थी संगठनों और बैंक यूनियनों के हजारों कार्यकर्ताओं ने भंडारी पुल पर रोष प्रदर्शन किया और बाद में ट्रनों और बसों की आवाजही रोक दी। इसा ही कुछ लुधियाना में हुआ। वहां सिमरजीत सिंह मान की अगुवाई वाली पार्टी ने भी रोष प्रदर्शन में बराबर की शिरकत की।
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बुधवार सुबह पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला की गैर बीजेपी विद्यार्थी संगठनों ने एकजुट होकर यूनिवर्सिटी के गेट पर ताला लगा दिया और अध्यापक कर्मचारी संघ ने भी उनका साथ दिया।
जालंधर में तमाम बसों का चक्का जाम रहा और रेल गाड़ियां खड़ीं रहीं। पंजाब बस कर्मचारी यूनियन के महासचिव दलजीत सिंह ने बताया कि बंद के दौरान इस बात का खास ध्यान रखा गया कि किसी भी जरूरतमंद यात्री को परेशानी ना आए। वह कहते हैं, "पूरी तरह फासीवादी हो चुके मोदी-शाह को आज पंजाब से विरोध की जो आवाज सुनाई दी हैं, उसे अनदेखा करना निहायत शर्मनाक होगा!"
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बठिंडा, मुक्तसर, संगरुर, तरणतारन, कपूरथला, फतेहगढ़ साहिब, अबोहर, फिरोजपुर आदि में भी बंद पूरी तरह कामयाब रहा। मालवा में शिरोमणि अकाली दल के कई कार्यकर्ता, भाजपा के साथ मिलकर बंद को नाकाम करते मिले लेकिन शांतिपूर्वक रोष प्रदर्शन नों ने उनकी मंशा को पूरी तरह धत्ता बता दी। पंजाब के वरिष्ठ वामपंथी नेता मंगतराम पासला कहते हैं, "देश में प्रतिवादी विचारधारा का कोई स्थान नहीं है, यह पंजाब जरुरत पड़ने पर लगातार साबित किया है । आज भी साबित किया। इस सत्ता के पैरोकार हद दर्जे के बेरहम हैंं लेकिन समूह पंजाबी उनकी अत्याचारों के सामने तनकर खड़े हैं।"
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केंद्रीय भारतीय ट्रेड यूनियन के प्रधान रघुनाथ सिंह के अनुसार केंद्र सरकार को जगह-जगह लोक विरोधी नीतियों का जवाब इसी तरह दिया जाएगा। बता दें कि भारत बंद को कांग्रेस के साथ-साथ पंजाब में बादलों के विरोध वाले अकाली दलों का भी समर्थन हासिल रहा।
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