हाल ही हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर मुस्लिम निकायों ने अगले सप्ताह ईद से पहले शांति की अपील की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद और 14 अन्य निकायों के अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित एक खुले पत्र में कहा गया है, "सभी मुसलमानों को शांत रहना चाहिए और ईदगाह के रास्ते में और घर लौटते समय भी शांत रहना चाहिए। वे किसी ऐसे व्यक्ति के शिकार न हों जो उन्हें भड़काने की कोशिश करे। ईद के उपदेश में बहुत सावधान और स्पष्ट भाषा का प्रयोग करें, ताकि आप जो कुछ भी कहते हैं वह विकृत न हो।"
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इसमें कहा गया, "धार्मिक त्यौहार जो आपसी भाईचारे, प्रेम और एकता को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करते हैं, असामाजिक और बुरे तत्वों द्वारा नफरत फैलाने और निहित राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के साधन में बदल दिया गया है। इन सभी घटनाओं के बीच, रमजान का महीना जारी है कुछ दिनों बाद ईद-उल-फितर आ रही है।"
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"रमजान के आखिरी शुक्रवार और 'लैलतुल कद्र' (रमजान की 27वीं तारीख) पर बड़ी संख्या में मुसलमान इकट्ठा होते हैं। मुसलमानों को ईद-उल-फितर को अपने हमवतन लोगों के साथ साझा कर ईद-उल-फितर मनाना चाहिए, जिससे यह सभी के साथ शांति और सौहार्दपूर्ण संबंध विकसित करने का अवसर बन सके।"
पत्र में आगे कहा गया है कि किसी भी असामाजिक और दुष्ट तत्व को शरारत करने का मौका नहीं मिलना चाहिए। असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए मुस्लिम निकायों ने अपने-अपने कॉलोनियों और इलाकों में शांति समितियों के साथ बैठक करने की सलाह दी है।
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आगे कहा गया, "अगर कोई शरारत करने की कोशिश करता है, तो स्थानीय प्रशासन के पास शिकायत दर्ज करें। स्थानीय प्रशासन के साथ जाएं और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करें कि वे किसी भी परिस्थिति में कानून व्यवस्था को प्रभावित नहीं होने देंगे।"
निकायों ने ईदगाह के बाहर महत्वपूर्ण हस्तियों और पत्रकारों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरों के प्रावधान को सुनिश्चित करने के प्रयासों का भी आह्वान किया।
अपील का जवाब देते हुए, अखिल भारतीय शिया परिषद के मौलाना जलाल हैदर नकवी ने कहा कि 'यह एक एहतियाती उपाय है ताकि समुदाय उकसाए जाने पर कोई प्रतिक्रिया ना दे लेकिन शांति और सद्भाव बनाए रखे'।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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