जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने हरियाणा में एक युवक की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या को ‘क्रूरता की पराकाष्ठा’ बताते हुए सोमवार को भीड़ हिंसा के खिलाफ सख्त कानून बनाने की अपील की।
जमीयत प्रमुख ने यह भी कहा कि भीड़ हिंसा “मुसलमानों की समस्या नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक समस्या है और इसका राजनीतिक रूप से ही समाधान संभव है।”
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संगठन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, बुजुर्ग मुस्लिम नेता ने सभी राजनीतिक दलों, खासकर अपने आपको धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दलों से “खुल कर सामने आने” को कहा और उनसे भीड़ हिंसा के खिलाफ कानून बनाने के लिए क़दम उठाने का आग्रह किया।
हरियाणा के चरखी दादरी में, 27 अगस्त को कथित तौर पर गोरक्षकों ने पश्चिम बंगाल से आए एक मुस्लिम प्रवासी साबिर मलिक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। उस पर यह संदेह जताते हुए हमला किया गया कि उसने ‘बीफ’ खाया था। इस हमले में एक व्यक्ति घायल भी हुआ था।
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घटना को ‘क्रूरता की पराकाष्ठता’ बताते हुये मदनी ने कहा कि ऐसा लगता है कि तथाकथित गौ रक्षकों के भेष में “दुष्ट तत्वों का एक गिरोह” है जिसे “हिंसा और दरिंदगी की खुली छूट’ मिली हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि दुखद है कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बावजूद भीड़ हिंसा की घटनाएं रुक नहीं रही हैं।
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मदनी ने कहा, “इसका स्पष्ट अर्थ यह भी हो सकता है कि जो लोग ऐसा कर रहे हैं उनको राजनीतिक संरक्षण और समर्थन प्राप्त है। इसलिए उनके हौसले बुलंद हैं।”
मदनी ने यह भी आशंका जताई कि हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस घटना को साजिशन अंजाम दिया गया हो सकता है।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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