अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को मध्यस्थता के लिए भेजे जाने पर सुप्रीम कोर्ट आज कोई फैसला ले सकता है। पिछली सुनवाई में अदालत ने सुझाव दिया था कि अगर विवाद में एक फीसदी भी बातचीत की गुंजाइश है तो उसके लिए प्रयास होना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि दोनों पक्षकार बातचीत का रास्ता निकालने पर विचार करें और अगली सुनवाई पर अदालत को अपने मत से अवगत कराएं, जिसके बाद अदालत फैसला लेगी कि मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाएगा या नहीं।
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने कहा था कि अगर अदालत चाहती है तो वह प्रयास कर सकते हैं और इसका विरोध नहीं करेंगे। लेकिन रामलला विराजमान की ओर से पेश वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा था कि इस मामले में पहले काफी मध्यस्थता के प्रयास हुए हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मामले में एक अन्य हिंदू पक्षकार के वकील ने भी मध्यस्थता की संभावना से इनकार करते हुए कहा था कि मामले पर आगे सुनवाई होनी चाहिए।
सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने संबंधो की खाई को पाटने की बात करते हुए कहा, “हम आपकी मर्जी के बिना कुछ नहीं करेंगे, लेकिन अगली सुनवाई में सभी पक्षकार अदालत को बताएं कि क्या कोई रास्ता निकल सकता है।” अब आज सुप्रीम कोर्ट में सभी पक्षकार मामले में मध्यस्थता पर अपना पक्ष रखेंगे। जिसपर कोर्ट आदेश पारित कर सकती है।
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