अयोध्या केस में मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद उनसे मध्यस्थों के नाम मांगे। जिसके बाद संबंधित पक्षकारों ने मध्यस्थों के नाम लिख कर दे दिए हैं।
हिंदू महासभा ने पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा, पूर्व सीजेआई जेएस खेहर और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक के नाम मध्यस्थता के लिए दिए हैं। महासभा आपसी बातचीत के जरिए हल निकालने को तैयार है।
निर्मोही अखाड़ा ने भी मध्यस्थता के लिए तीन नाम दिए हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कुरियन जोसेफ, एके पटनायक और जीएस सिंघवी शामिल हैं। वहीं हिंदू याचिकाकर्ताओं की तरफ से रिटायर्ड जज अनिल दवे का नाम हो सकता है।
बता दें कि अयोध्या विवाद पर पहले भी कई बार मध्यस्थता की कोशिशें हो चुकी हैं। लेकिन आजतक हल नहीं निकल पाया। अब सुप्रीम कोर्ट की कोशिश है कि इस विवाद का हल मध्यस्थता के जरिए निकले।
आज सुबह सुप्रीम कोर्ट में आयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हुई। पांच जजों की संविधान पीठ के सामने हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने बहस की शुरुआत की। हिंदू महासभा ने कहा कि ये भगवान राम का जमीन है। इस पर किसी और पक्ष का कोई हक नहीं है। महासभा ने कहा कि इसका हल मध्यस्थता से नहीं निकल सकता है। हिन्दू महासभा का कहना था कि अगर समझौता हो भी जाता है तो भी समाज इसे नहीं स्वीकारेगा। इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि कोर्ट अगर समझौते पर सहमति देता है और उसपर आदेस पास करता है तो वो सभी को मानना होगा।
सु्न्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता को तैयार हैं। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि यह कोर्ट के ऊपर है कि मध्यस्थ कौन हो? धवन ने कहा कि इसकी मध्स्थता बंद कमरे के अंदर होनी चाहिए। इस पर जस्टिस बोबड़े बोले ने कहा कि यह गोपनीय होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा पक्षकारों द्वारा गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। जस्टिस बोबडे ने कहा कि मीडिया में इसकी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए और प्रक्रिया की रिपोर्टिंग न हो। अगर इसकी रिपोर्टिंग हो तो इसे अवमानना घोषित किया जाए। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष के वकील राजवी धवन ने कहा कि हम मध्यस्थता के लिए तैयार हैं।
वहीं संविधान पीठ चाहता है कि इस मामले का हल आपसी बातचीत से निकले। कोर्ट ने कहा कि ये केवल जमीन विवाद नहीं है, इसमें भावनाएं जुड़ी हैं। इसलिए इसका हल बातचीत से निकले तो ही बेहतर है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बोबडे ने कहा कि इस मामले में सिर्फ एक मध्यस्थ नहीं हो सकता, इसके लिए एक पैनल होना चाहिए।
पीठ ने कहा ने कहा कि मुगल शासक बाबर ने क्या किया और उसके बाद क्या हुआ हमें इससे मतलब नहीं है। मौजूदा समय में क्या हो रहा है, हम बस इसी पर विचार कर सकते हैं। शीर्ष अदालत विचार कर रही है कि क्या इस विवाद को मध्यस्थता के जरिये सुलझाया जा सकता है।
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