लखनऊ की आयशा त्यागी ने ईमानदारी की मिसाल पेश करते हुए रुपयों और जेवरात से भरा हुआ सड़क पर मिला बैग उसकी असली मालिक वंदना मिश्रा को लौटाकर मिसाल कायम की है।
बेहद खास बात यह है कि वंदना मिश्रा इस बैग को लेकर अपने परिवार की शादी में जा रही थी। एक बारगी तो वहां मातम ही हो गया था अचानक आई एक अंजान कॉल ने उनकी खुशियां लौटा दी। आयशा (46) बताती हैं कि बैग की हालत देखकर ही वो समझ गई थी कि किसी परिवार में शादी है। बैग के अंदर ही उन्हें एक नम्बर मिला जिसपर कॉल करने पर वंदना उनके घर आकर यह बैग ले गई।
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पूरा मामला आयशा त्यागी के बेटे सालिम बताते हैं। वो कहते हैं "10 दिसंबर के रोज़ लखनऊ में रहने वाली वंदना मिश्रा के परिवार में शादी थी, वे अपने घर से शादी में जाने के लिये रवाना हुईं। लेकिन इस दौरान उनका एक बैग़ जिसमें लगभग दो लाख रुपये और कुछ ज्वैलरी थी वह गिर गया था । उन्हें कॉल करके घर बुलाया गया और वो शादी मंडप से सीधे घर आ गईं। यहां अम्मी ने उन्हें उनका बैग सौंप दिया वो भावुक हो गई थी और बार बार अम्मी को गले से लगा रही थी।"
आयशा त्यागी मूलरूप से मुजफ्फरनगर के चरथावल की रहने वाली हैं और उनके पति उत्तर प्रदेश पुलिस में इंस्पेक्टर है। आयशा त्यागी बीते 11 वर्षों से परिवार समेत लखनऊ में रहतीं हैं। नवजीवन से बात करते हुए उन्होंने बताया, "मैं किसी काम से बाहर जाने के लिये घर से बाहर निकली तो रास्ते में मुझे ये बैग मिला, मैं उसे लेकर घर लौट आई, मैंने बैग खोला उसमें नक़दी और ज़ेवरात थे उसी में एक कार्ड भी था मैंने उस पर लिखे मोबाईल नंबर पर कॉल किया और उनसे कहा कि आपका बैग मुझे मिला है आप इसे आकर ले जाईए। आयशा बताती हैं कि किसी की अमानत में खयानत करना बहुत बड़ा गुनाह है, एक मुसलमान को यह शोभा नहीं देता कि वह किसी की अमानत में खयानत करे। उन्होंने कहा कि बैग लौटाकर उन्हें दिली सुकून मिला है"।
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आयशा त्यागी की छोटी बहन खुशनुमा बताती हैं कि आयशा बाजी पहले से ही ऐसी है वो दरियादिल हैं, उन्होंने बचपन से ही मेरी परवरिश की, अम्मी के इंतक़ाल के बाद अपनी औलाद की तरह मेरी परवरिश की, यहां तक मेरी शादी भी आयशा बाजी ने ही कराई है। खुशनुमा बताती हैं कि आयशा दस साल वर्षों तक चरथावल नगर पंचायत में सभासद भी रही हैं। उनकी मिलनसारी, और दरियादिली का ही नतीजा है कि आज भी जब वे कभी चरथावल आती हैं तो पूरा मौहल्ले का जमावड़ा उनके घर पर लग जाता है, वे सबकी मदद करती हैं, सबसे मिलती हैं। खुशनुमा बताती हैं कि चरथावल में उनके आस पड़ोस में जब भी कोई शादी ब्याह होता है, और उसमें दूर होने के कारण बाजी शिरकत नहीं कर पातीं तो लखनऊ से ही कन्यादान तक भिजवा देतीं हैं।
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खास यह है कि आयशा त्यागी ने जिस तरह अपनी ईमानदारी का सबूत दिया है, इससे पहले यही कारनामा उनके पति इरशाद त्यागी भी कर चुका हैं। बता देते हैं कि 23 मार्च 2013 में इरशाद त्यागी ने एनईआर चौकी के प्रभारी होने के वक़्त लखनऊ के ही गोमतीनगर के विनीत खंड निवासी रमेशचंद की पत्नी भाग्यलक्ष्मी लाखों की नगदी से भरा बैग लौटा दिया था।
आज अपनी पत्नी द्वारा यही कारनामा अंजाम दिए जाने पर बेहद खुश इरशाद कहते हैं कि उन्हें अपनी पत्नी पर गर्व है। ईमानदारी में अपने आप बड़ी ताक़त होती है। उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान यह इरादा किया हुआ है कि हमारे बच्चों के पेट मे हलाल रिज़्क़ ही जाएं।
वंदना मिश्रा के मुताबिक बैग के खो जाने और फिर मिल जाने का बीच का समय बेहद कष्टदायक था। वो दिल से प्रार्थना कर रही थी कि मेरा बैग किसी भले इंसान को मिल जाएं। ऐसा ही हुआ। इंसानियत स्व बड़ा कोई मज़हब नही होता है। आयशा अब मेरी भी बड़ी बहन है मैं उनके साथ हमेशा रिश्ता रखना चाहती हूं। आजकल ऐसे लोग होते कहाँ है !
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