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असम में सांप्रदायिक राजनीति का खेल, एनआरसी में सासंद बदरुद्दीन समेत 1.4 करोड़ लोगों के नाम गायब

असम में नए साल पर आधी रात नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस यानी एनआरसी का पहला मसौदा जारी कर दिया गया है। इस सूची में असम के 3 करोड़ लोगों में से सिर्फ 1.9 करोड़ लोगों के ही नाम हैं। 

फोटो सौजन्य : असम सरकार
फोटो सौजन्य : असम सरकार असम में एनआरसी सेवा केंद्र की फाइल फोटो

असम में नया राजनीतिक खेल शुरु किया है। असम की बीजेपी सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार किया है। इसका पहला मसौदा नए साल की आधी रात जारी किया गया। तैयार होने वाली सूची में नाम दर्ज कराने के लिए असम के 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन रजिस्टर में सिर्फ 1.9 करोड़ लोगों के ही नाम हैं। जिन 1.4 करोड़ लोगों के नाम सूची से गायब हैं उनमें एआईयूडीएफ के सांसद बदरुद्दान अजमल भी शामिल हैं।

असम सरकार ने यह रजिस्टर इसलिए तैयार किया है ताकि अवैध नागरिकों की पहचान हो सके। आवदेन करने वाले लोगों ने विभिन्न दस्तावेज दिए हैं जिससे उनका नाम भारतीय नागरिकों के रजिस्टर में आ सके। इस सूची के प्रकाशन के बाद पूरे राज्य में तनाव है और लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया सामने आई है। खबरें हैं कि इसमें अपना नाम नहीं पाकर सिलचर जिले में एक व्यक्ति ने खुदकुशी कर ली है।

इस सूची के बारे में रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया शैलेश ने रविवार को देर रात एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि बाकी बचे लोगों के नाम वैरिफिकेशन के विभिन्न चरणों में हैं। शैलेश ने कहा कि संपूर्ण एनआरसी का प्रकाशन 2018 में होगा। रविवार को इसके सिर्फ एक हिस्से का प्रकाशन हुआ। अगर किसी का नाम अभी नहीं आया है, तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसका केवल इतना ही अर्थ है कि उसका नाम अभी वेरिफिकेशन के चरण में है।

लेकिन कछार में पुलिस ने कहा कि हनीफ खान नाम के व्यक्ति का शव घर में फंदे से लटकता मिला। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोगों का कहना है कि वह एनआरसी में अपना नाम नहीं पाकर बेहद परेशान हो गया था। आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी प्रमुख बदरुद्दीन अजमल का नाम भी एनआरसी में नहीं है।

इस बीच असम में तनाव को देखते हुए सरकार ने अर्धसैनिक बलों की 85 कंपनियां अलग-अलग इलाकों में तैनात की हैं। इसके अलावा सभी थानों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। पिछले दिनों असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि जिन लोगों के नाम रजिस्टर में नहीं होंगे उन्हें देश निकाला दिया जाएगा। सरमा एनआरसी के इंचार्ज भी हैं।

असम देश का पहला राज्य है जिसने ऐसा रजिस्टर तैयार किया है। मुस्लिम आबादी के लिहाज़ से असम देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।

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