सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश आर्थिक स्थिति की हालत केंद्र द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के कारण खराब हुई है और केंद्र ने अपने पास शक्तियां होने के बावजूद ऐसे कदम नहीं उठाए जिससे हालात सुधरते। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र ने कर्ज वसूली को स्थगित तो कर दिया लेकिन इस पर लगने वाले ब्याज और ब्याज पर ब्याज को लेकर अपना रुख साफ नहीं किया है।
देश की आर्थिक स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान कर्ज वसूली स्थगित किए जाने पर केंद्र सरकार की निष्क्रियता की बात की और एक सप्ताह में इस पर अपना रुख साफ करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए सख्त लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्खा की हालत खराब हुई है।
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सुप्रीम के जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कर्ज स्थदन के बाद ब्याज पर ब्याज लगाए जाने को लेकर केंद्र का रुख साफ करने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के पास आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत पर्याप्त शक्तियां उसके साथ उपलब्ध थीं फिर भी सरकार ने इस मामले में अपना रुख साफ नहीं किया।
सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार आरबीआई के साथ मिलकर इस विषय पर कोआर्डिनेट कर रही है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि 'यह समस्या आपके (केंद्र सरकार) लॉकडाउन की वजह से पैदा हुई है। यह समय व्यवसाय करने का नहीं है, बल्कि इस वक्त तो लोगों की दुर्दशा पर विचार करना होगा।' मेहता ने कहा, 'माय लॉर्ड आप ऐसा मत कहिए। हम आरबीआई के साथ समन्वय में काम कर रहे हैं।'
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पीठ में शामिल न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह ने भी सॉलिसिटर जनरल से कहा कि केंद्र आपदा प्रबंधन अधिनियम पर रुख स्पष्ट करें और बताएं कि क्या मौजूदा ब्याज पर अतिरिक्त ब्याज लिया जा सकता है।
तुषार मेहता ने तर्क दिया कि सभी समस्याओं का एक समान हल नहीं हो सकता। वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि कर्ज स्थगन की समय सीमा 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगी। सिब्बल ने इसके विस्तार की मांग की। सिब्बल ने कहा, 'मैं केवल यह कह रहा हूं कि जब तक इस याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक कर्ज स्थगन की अवधि खत्म नहीं होनी चाहिए।' इस मामले की अगली सुनवाई अब एक सितंबर को होगी।
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