प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान से महज तीन दिन पहले राममंदिर निर्माण ट्रस्ट बनाने का एलान किया। ये ऐलान खुद पीएम मोदी ने किया और वह भी लोकसभा में खड़े होकर। पीएम मोदी के इस ऐलान के बाद संसद में बीजेपी सांसदों ने जमकर जय श्रीराम के नारे लगाए। मोदी सरकार की घोषणा के अनुसार राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में 15 ट्रस्टी होंगे, जिसमें एक दलित समाज से होगा।
संसद के बजट सत्र में पीएम मोदी के राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा से कई सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि मोदी सरकार ने ट्रस्ट के निर्माण के ऐलान के लिए राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव से महज तीन दिन पहले का वक्त ही क्यों चुना? अयोध्या विवाद पर बीते साल 9 नवंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आखिर 87 दिनों बाद अब जाकर क्यों अमल हुआ, जब दिल्ली में चुनाव का माहौल अपने चरम पर है? और सबसे बड़ा सवाल ये कि इस घोषणा के लिए संसद का मंच की तरह इस्तेमाल क्यों किया गया?
Published: 05 Feb 2020, 9:14 PM IST
कांग्रेस ने राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के एलान की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने कहा कि दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं और इस समय अचार संहिता लागू है, ऐसे में राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर की गई इस घोषणा का उद्देश्य चुनाव में लाभ उठाना हो सकता है। कांग्रेस ने सवाल करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार ने दिल्ली चुनाव से ठीक पहले की राम मंदिर ट्रस्ट का ऐलान क्यों किया?
हालांकि, दिल्ली चुनाव में खुद को सबसे आगे बता रहे आम आदमी पार्टी के मुखिया और सीएम अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार के ऐलान का स्वागत किया है। केजरीवाल ने इसपर पूछे गए सवाल पर कहा, मैं इस निर्णय का बहुत-बहुत स्वागत करता हूं। देश के लोगों को बधाई देता हूं। अच्छे काम का कोई टाइम नहीं होता, वो कभी भी हो सकता है।
Published: 05 Feb 2020, 9:14 PM IST
वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के ऐलान के समय को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी किसी चुनावी रैली में इसकी घोषणा नहीं कर सकते थे, इसलिए इसके लिए संसद को चुना। एक तरह से यह आदर्श आचार संहिता की भावना का खुला उल्लंघन है। ओवैसी ने कहा कि इस ऐलान से बीजेपी की कमजोरी उजागर हो गई है। इस ऐलान के पीछठे नीयत ये है कि दिल्ली चुनाव में यह मतदाताओं को प्रभावित करे।
Published: 05 Feb 2020, 9:14 PM IST
सवाल उठ रहे हैं तो जाहीर सी बात है कि आरोप भी लगेंगे ही। आरोप साफ है कि बीजेपी सरकार ने दिल्ली चुनाव के मतदान से ठीक तीन दिन पहले भावनात्मक हवा बनाने के लिए जानबूझकर राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट का ऐलान किया। और ये भी आरोप हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लिए गए सरकार के फैसले की घोषणा के लिए सोच-समझकर संसद के चालू सत्र का उपयोग किया गया। क्योंकि जब संसद सत्र चलता है और खासकर जब वहां प्रधानमंत्री कुछ बोलते हैं, तो पूरे देश की निगाहें वहां टिकी रहती हैं।
Published: 05 Feb 2020, 9:14 PM IST
और हुआ भी यही। पीएम मोदी के अचानक बुधवार सुबह संसद में अवतरित होने की खबर के साथ ही सबकी निगाहें न्यूज चैनलों पर टिक गईं। इधर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चीरपरिचित अंदाज में ट्रस्ट निर्माण की घोषणा की, उधर पूरे देश का हर छोटा-बड़ा मीडिया जोश में आ गया। बुधवार के पूरे दिन भर टीवी चैनलों से बाकी सारी खबरें गायब रहीं। दिन भर संसद से राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट बनाने की घोषणा और संसद में जय श्रीराम के नारे की चर्चा छायी रही।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि आने वाले दिनों में होने वाले मतदान में क्या इन सबका फायदा बीजेपी को मिलेगा। क्या बीजेपी राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट की घोषणा से हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण में कामयाब होगी, जो वह दिल्ली चुनाव के शुरू से चाह रही है। लेकिन लगातार जामिया और शाहीन बाग पर कई तरह के हमलों के बावजूद आम जनमानस के बीच बीजेपी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने में विफल रही है। हां, इतना जरूर है कि पूरे चुनाव अभियान के दौरान बीजेपी ने आम आदमी पार्टी की हालत खराब कर दी है।
Published: 05 Feb 2020, 9:14 PM IST
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Published: 05 Feb 2020, 9:14 PM IST