कोयले और जगह-जगह हो रही बिजली कटौती पर सियासत होने लगी है। दिल्ली कांग्रेस ने सरकार पर इस मसले पर निशाना साधा है। कांग्रेस के अनुसार,भीषण गर्मी के मौसम में पावर प्लांट में कोयले की कमी से राजधानी में बिजली संकट सप्ताह भर से उत्पन्न हो रहा है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि, दिल्ली को जिन पावर प्लांट से बिजली आपूर्ति होती है उसमें सिर्फ 3-4 दिन का कोयला ता स्टॉक ही बचा है, जबकि आमतौर पर 17-26 दिनों तक का कोयले का स्टॉक होना चाहिए। बिजली संकट में दिल्ली के मुख्यमंत्री पूरी तरह असहाय स्थिति जताकर केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है, यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
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दिल्ली में गर्मी ने 70 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है जिससे सभी दिल्लीवासी त्रस्त हैं। बिजली संकट की भयावह स्थिति के बाद मुख्यमंत्री ठोस कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं, उन्होंने बिजली संकट को दूर करने के लिए समय रहते कदम क्यों नही उठाया? 47 डिग्री की भीषण गर्मी में बिजली कटौती करना जनता पर कुठाराघात से कम नहीं है।
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दरअसल जानकारी के अनुसार, दिल्ली में बिजली का वितरण करने वाली तीन कंपनियों के पास 7636 मेगावॉट बिजली सप्लाई करने की व्यवस्था है। एनटीपीसी का दादरी-यूनिट से 728 मेगावॉट और ऊंचाहार से 100 मेगावॉट की सप्लाई हो रही है।
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दिल्ली कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा कि, कोविड महामारी की तरह केन्द्र और दिल्ली सरकार बिजली संकट के मामले में भी देर से जागी है जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में यह पहला मौका नहीं है जब कोयले की आपूर्ति प्रभावित होने के कारण बिजली संकट हुआ हो, इससे पहले भी पिछले वर्ष 2021 के अगस्त, सितम्बर महीने में बिजली कम्पनियों को कोयला संकट से जूझना पड़ा था।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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