प्रधानमंत्री मोदी ने 6 दिसम्बर 2017 को गुजरात के दाहोद और नेत्रंग की चुनावी रैलियों में जोर देकर कहा कि हम गरीबों के लिए काम कर रहे हैं। आदिवासी बहुल इलाकों में उन्हें यह तो बोलना ही था। वैसे भी नहीं काम करने वालों को ज्यादा बोलना पड़ता है। यह पीएम मोदी का पुराना जुमला है जो साढ़े तीन वर्षों से चलता जा रहा है, जबकि गरीब और भी गरीब हो रहे हैं। विडंबना यह है कि आज सत्ता में बैठे लोगों को छोड़कर शेष लोगों में से कोई यह नहीं कह सकता कि सरकार का कोई भी कदम गरीबों की जिन्दगी को आसान बना रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट इंडेक्स 2017’ में 157 देशों की सूची में भारत का स्थान 116वां है, जबकि 2016 के इंडेक्स में हम 110वें स्थान पर थे। हैरानी की बात यह है कि 2017 के इंडेक्स में 116वें स्थान पर भारत के साथ सीरिया भी है। यह इंडेक्स पूरी तरह मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (एमडीजी) को प्राप्त करने के प्रयासों पर आधारित है। एमडीजी में सभी पहलू गरीबों के लिये हैं, जैसे बेहतर स्वास्थ्य, पोषण, पानी, साफ-सफाई, बेहतर जीवन इत्यादि। यदि सरकार गरीबों के लिये काम करती तो हम 100वें स्थान से 110वें स्थान तक और फिर 116वें स्थान पर नहीं पंहुचते। इस इंडेक्स में नेपाल, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश और चीन हमसे बहुत आगे हैं।
वर्ष 2017 के सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में कुल 128 देशों में भारत का स्थान 93वां है। इसमें भारत को निम्न-मध्यम सामाजिक विकास वर्ग में भी लगभग आखिरी जगह दी गई है। इस वर्ग में केवल सेनेगल हमसे नीचे है। श्रीलंका, नेपाल और चीन इस इंडेक्स में हमसे बेहतर स्थान पर हैं। संयुक्त राष्ट्र के ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में कुल 188 देशों में भारत का स्थान 131वां है। भारत को इस सूची में मध्यम मानव विकास की श्रेणी में रखा गया है।
वर्ष 2017 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 100वें स्थान पर है। इस इंडेक्स में कुल 119 देश शामिल हैं। इसमें चीन 29वें, नेपाल 72वें, म्यांमार 77वें, श्रीलंका 84वें और बांग्लादेश 88वें स्थान पर है।
हर मंच से यह बोलना आसान है कि मैं गरीब परिवार से हूं, गरीबी को नजदीक से देखा है, मैं गरीबों के लिये काम करता हूं, पर असल में काम करना कठिन है। दरअसल वर्तमान सरकार गरीबों और गरीबी का मजाक उड़ाने के अलावा कुछ भी नहीं कर रही है।
Published: 10 Dec 2017, 9:29 AM IST
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Published: 10 Dec 2017, 9:29 AM IST