सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को लेकर पिछले सप्ताह शुरु हुआ विवाद सोमवार होते होते खत्म हो गया, प्रेस कांफ्रेंस कर चीफ जस्टिस की कार्यशैली पर उंगली उठाने वाले चारों जज भी काम पर वापस आ गए, अहम मामलों की सुनवाई के लिए नई संविधान पीठ का गठन हो गया। बस इस पीठ में वे चारों सीनियर जज नहीं हैं जिनकी प्रेस कांफ्रेंस से हंगामा खड़ा हो गया था।
देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अहम मामलों की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली इस पीठ में जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल किए गए हैं। ये बेंच 17 जनवरी से अहम मामलों की सुनवाई शुरू करेगी।
सूत्रों के मुताबिक, "5 जजों की पीठ आधार कानून की संवैधानिक मान्यता और समलैंगिकता पर 2013 में दिए अपने फैसले पर सुनवाई करेगी। इसके अलावा केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी और विवाहेत्तर संबंधों पर बने एक कानून की वैधता पर भी बेंच को सुनवाई करनी है। इस कानून के तहत किसी शादीशुदा महिला से रिश्ता रखने पर सिर्फ पुरुषों को ही सजा मिल सकती है। इसके साथ ही आपराधिक केसों का सामना कर रहे नेताओं को अयोग्य ठहराने वाले मामले की भी सुनवाई होनी है।
लेकिन सीबीआई के जज बी एच लोया की मौत की जांच की मांग करने वाली दो याचिकाओँ पर सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच में ही होगी। गौरतलब है कि इस केस की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को सौंपे जाने पर भी सीनियर जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाया था।
सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों जस्टिस जे चेलामेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस कर चीफ जस्टिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे।
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