नोटबंदी के दौरान मोदी सरकार ने डिजिटलाइजेशन का नारा दिया था। देश में कैश में लेनदेन कम और डिजिटल लेनदेन ज्यादा हो इससे जुड़े प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार ने करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए। लेकिन नोटबंदी के दो साल बीत जाने के बाद भी डिजिटलाइजेशन का नारा आज भी हवा हाई साबित हो रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में सिर्फ 30 फीसदी बैंक खाताधारक नियमित रूप से एटीएम इस्तेमाल करते हैं, जबकि 70 फीसदी खाताधारक आज भी कैश पर ही निर्भर हैं। बताया जा रहा है कि इसकी वजह कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर और नेटवर्क है। इसका असर एटीएम नेटवर्क के विकास पर पड़ रहा है।
सीएटीएमआई के निदेशक वी बालासुब्रमण्यन के मुकाबिक, देश में मौजूद 2.38 लाख एटीएम में से औसतन 10 फीसदी मशीनें अलग-अलग वजहों से काम नहीं करतीं। देश की जितनी आबादी है, उसके हिसाब से कम से कम 10 लाख एटीएम की जरूरत है। मौजूदा एटीएम की 80 फीसदी मशीनें शहरी और अर्द्धशहरी इलाकों में हैं, जबकि बाकी ग्रामीण इलाकों में लगी हुई हैं।
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एटीएम उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि महानगरों और बड़े शहरों को छोड़ दिया जाए तो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार समेत कई राज्यों के दूर दराज इलाकों में एटीएम इस्तेमाल करने के लिए लोगों को 40 किलोमीटर या इससे ज्यादा का सफर तय करना पड़ता है।
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