12 हजार के इनामी भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आखिरकार अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। वह पिछले साल सहारनपुर में हुए बवाल के मुख्य आरोपियों में से एक थे। वह भीम आर्मी के चार चर्चित चेहरों में से एक भी हैं। पिछले साल हुए बवाल में उनकी नामजदगी भी की गई थी मगर भीम आर्मी का दावा था कि वो प्रदर्शन वाले दिन चंडीगढ़ में अपनी बीमार बहन का इलाज करा रहे थे। पिछले कुछ समय से भीम आर्मी के काम-काज में सक्रियता आ गई थी और इसकी वजह विनय रतन सिंह ही थे। भीम आर्मी सुप्रीमो चंद्रशेखर रावण के करीबी दोस्त और पड़ोसी विनय रतन सिंह चंद्रशेखर को अनुपस्थिति में भीम आर्मी को गतिविधियों को निर्देशित कर रहे थे।
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18 फरवरी को सहारनपुर की जिस सभा मे दलितों का हुजूम उमड़ पड़ा था, उसका नेतृत्व भी विनय रतन सिंह ने ही किया था। पुलिस ने वहां विनय को गिरफ्तार करने की योजना बनाई थी मगर भारी भीड़ और विनय के तेवर को देखते हुए इरादा बदल दिया था। उस दिन विनय रतन ने सरकार को ललकारा था और मुसलमानो से समर्थन मांगा था। विनय ने उस सभा में खुलासा किया था कि चन्द्रशेखर भाई की जेल में हत्या की साजिश की जा रही है, मगर हैदर और वाजीद नाम के दो युवक उनकी ढाल बन गए हैं।
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विनय रतन सिंह से पहले पुलिस ने राष्ट्रीय प्रवक्ता मंजीत नॉटियाल को जेल भेजा था। मंजीत नॉटियाल को मुजफ्फरनगर के रतनपुरी से गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वो चन्द्रशेखर के खिलाफ लगाई गई रासुका के विरूद्ध रणनीति बनाने में जुटे हैं। हाल-फिलहाल भीम आर्मी काफी सक्रिय है। दो दिन पहले पुलिस ने फतेहपुर स्थित विनय रतन सिंह के घर पर कुर्की वारंट चिपकाया था। वहां उनका मुस्कुराता हुआ फोटो पुलिस की आंखों में खटक रहा था। हालांकि, पुलिस वहां भी विनय रतन सिंह को गिरफ्तार करने का साहस नही जुटा पाई थी।
लेकिन 24 अप्रैल को विनय रतन सिंह अपने करीबी साथी और भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया और प्रवक्ता मंजीत नॉटियाल के साथ सहारनपुर जनपद न्यायालय पहुंचे और समर्पण कर दिया। अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया। वह चन्द्रशेखर रावण के साथ चार मुकदमों में नामजद हैं, जो बवाल, आगजनी और सरकारी कर्मचारियों के साथ मारपीट के मामले हैं।
कमल वालिया भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष हैं और अदालत में समर्पण के समय उन्होंने बताया कि अब दलित वीर जेल -वेल जाने से नहीं डरते हैं। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई बड़ी हो गई है और हम बलिदान का मतलब समझते हैं।” वालिया ने कहा कि विनय भाई बवाल वाले दिन यहां नहीं थे। वो अपनी बहन का चंडीगढ़ में इलाज करा रहे थे और 8 मई को उनकी बहन की मौत हो गई। यह बात पुलिस भी जानती है, मगर सरकार दलितों का दमन करना चाहती है।
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