कांग्रेस ने शनिवार को दावा किया कि सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) अनिवार्य किए जाने का इस योजना पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है और करीब 85 लाख पंजीकृत श्रमिकों के नाम इस कार्यक्रम से हटा दिए गए हैं।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार को तत्काल एबीपीएस की व्यवस्था पर रोक लगानी चाहिए।
रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘जनवरी, 2024 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के लिए आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन को अनिवार्य कर दिया। एबीपीएस पात्र होने के लिए श्रमिकों को कई शर्तों को पूरा करना होगा। मसलन, उनका आधार उनके जॉब कार्ड से जुड़ा होना चाहिए, आधार का नाम जॉब कार्ड पर दर्ज़ नाम से मेल खाना चाहिए और उनका बैंक खाता आधार से जुड़ा होना चाहिए और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के साथ मैप किया जाना चाहिए।’’
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उन्होंने दावा किया अब इसके 10 महीने बाद इस नीतिगत बदलाव के विनाशकारी प्रभाव का डेटा उपलब्ध है।
रमेश का कहना है, ‘‘लिब टेक (शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं का एक संघ) द्वारा मनरेगा पोर्टल पर उपलब्ध सार्वजनिक डेटा पर किए गए विश्लेषण के अनुसार, सभी पंजीकृत श्रमिकों में से 27.4 प्रतिशत (6.7 करोड़ श्रमिक) और 4.2 प्रतिशत सक्रिय श्रमिक (54 लाख श्रमिक) एबीपीएस के अयोग्य हैं। अधिक चिंता की बात यह है कि इस साल अप्रैल और सितंबर के बीच मनरेगा के तहत पंजीकृत 84.8 लाख श्रमिकों ने पाया कि उनके नाम कार्यक्रम से हटा दिए गए हैं।’’
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उन्होंने कहा कि एबीपीएस से संबंधित मुद्दे और नामों का इस तरह से हटाया जाना समग्र रूप से मनरेगा को प्रभावित कर सकता हैं।
कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि मनरेगा में सृजित व्यक्ति दिवस (कार्यक्रम के तहत पंजीकृत व्यक्ति द्वारा एक वित्तीय वर्ष में पूरा किए गए कार्यदिवसों की कुल संख्या) में पिछले वर्ष से 16.6 प्रतिशत की गिरावट आई है।
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उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एबीपीएस राष्ट्रीय मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) के संयोजन में आता है। इन दोनों नीतियों के परिणामस्वरूप मांग पर काम करने के अधिकार और मनरेगा के तहत गारंटीकृत मजदूरी के समय पर भुगतान के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।’’
रमेश ने कहा, ‘‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान देश भर के मनरेगा कार्यकर्ताओं ने 14 फरवरी 2024 को झारखंड के गढ़वा जिले के रंका में आयोजित जनसुनवाई में इन मुद्दों को उठाया। आठ महीने बाद भी ये मुद्दे बरकरार हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि यह सरकार द्वारा निर्मित मानवीय, आर्थिक और संस्थागत त्रासदी है।
रमेश ने कहा, ‘‘ग्रामीण विकास मंत्रालय को तुरंत एबीपीएस और एनएमएमएस की इस जिद पर रोक लगानी चाहिए। साथ ही मनरेगा का बजट बढ़ाया जाना चाहिए और श्रमिकों की दैनिक मजदूरी में वृद्धि होनी चाहिए।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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