अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। अंतरिक्ष में मलबे के तौर पर बेकार पड़ी रूसी सैटेलाइट और निष्क्रिय चीनी रॉकेट के बीच संभावित टक्कर का खतरा टल गया है। हालांकि कैलिफोर्निया स्थित अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करने वाली कंपनी लियोलैब्स ने इन दो ऑब्जेक्ट्स की टक्कर होने की 10 प्रतिशत से अधिक संभावना जताई थी।
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लियोलैब्स ने कहा कि रूसी सैटेलाइट और निष्क्रिय चीनी रॉकेट का संयुक्त द्रव्यमान लगभग 2,800 किलोग्राम था।
स्पेस डॉट कॉम ने शुक्रवार को बताया कि अगर दोनों ऑब्जेक्ट्स की आपस में टक्कर हो जाती तो मलबे का एक विशाल बादल पैदा हो गया होता, क्योंकि वे 52,950 किलोमीटर प्रति घंटे की बहुत तेज गति के साथ एक-दूसरे की तरफ बढ़ रहे थे। शुक्रवार को 1256 जीएमटी पर दोनों ऑब्जेक्ट्स एक-दूसरे के काफी करीब थे। गनीमत रही कि यह आपस में नहीं टकराए।
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दोनों ऑब्जेक्ट्स का नाम कॉस्मोस 2004 और सीजेड-4सी आर/बी नाम दिया गया था।
लियोलैब्स ने अपने एक ट्वीट में जानकारी दी है कि उनके हालिया डेटा यह पुष्टि करते हैं कि कॉस्मोस 2004 अभी भी बरकरार है। कंपनी ने बताया कि वह आगे के जोखिम पर अगले सप्ताह जानकारी साझा करेगी।
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यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से अंतरिक्ष मलबे पर जारी की गई एक रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्तमान में कक्षा में एक 10 सेंटीमीटर से बड़ी (सॉफ्टबॉल के आकार से बड़ी) 34,000 मलबे की वस्तुएं हैं।
दुनिया का पहला कृत्रिम उपग्रह स्पुतनिक-1 1957 में पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया गया था। इसके बाद से विभिन्न देशों की ओर से हजारों अन्य उपग्रह भी भेजे जा चुके हैं।
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दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां ऐसे मलबों के टुकड़ों पर नजर भी रखती हैं। फिर भी इनकी बढ़ती तादाद को देखते हुए इन्हें हमेशा ट्रैक करना एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। यह यह बड़े मलबे के टुकड़े तेज गति से आपस में टकराए तो अंतरिक्ष में स्थापित की गई सैटेलाइट को भारी क्षति पहुंच सकती है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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