कौन हैं जस्टिस जे चेलामेश्वर?
जस्टिस जे चेलामेश्वर सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज हैं और वरिष्ठता में चीफ जस्टिस के बाद उनका नंबर आता है। जस्टिस चेलामेश्वर का जन्म 23 जून, 1953 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ। उन्होंने मद्रास लॉयला कॉलेज से फिजिक्स में स्नातक किया और विशाखापट्टनम के आंध्र विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। चेलामेश्वर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एडीशनल जज और 2007 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। इसके बाद वे केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे। अक्टूबर 2011 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
क्यों है जस्टिस चेलामेश्वर चर्चा में?
जस्टिस चेलामेश्वर ने पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट में वाई-फाई सुविधा न होने को लेकर सवाल उठाया था। इसके अलावा जे चेलामेश्वर और फॉली एस नरीमन की दो जजों की बेंच ने उस कानून को रद्द किया था जिसके तहत पुलिस को किसी भी ऐसे शख्स को गिरफ्तार करने का अधिकार था जिसने जिसने किसी को कोई आपत्तिजनक मेल किया हो या कोई इलेक्ट्रॉनिक मैसेज दिया हो। इसके अलावा आधार से जुड़ी निजता के मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में भी जस्टिस चेलामेश्वर थे।
कौन हैं जस्टिस रंजन गोगोई?
जस्टिस रंजन गोगोई 2012 से सुप्रीम कोर्ट में जज हैं। इसके पहले वे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। जस्टिस गोगोई गुवाहाटी हाईकोर्ट में भी रह चुके हैं।
क्यों हैं जस्टिस गोगोई चर्चा में?
जस्टिस गोगोई सात जजों की उस बेंच में शामिल थे जिसने कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन को सजा सुनाई थी। इसके अलावा जस्टिस गोगोई ने ही सरकारी विज्ञापनों में राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और राज्य मंत्रियों के फोटो के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए इसकी इजाजत दी थी।
कौन हैं जस्टिस मदन लोकुर?
1977 में एक वकील के तौर पर अपना कानूनी करियर शुरु करने वाले जस्टिस मदन भीमराव लोकुर ने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में कई वर्षों तक वकालत की। वे फरवरी 2010 से मई तक दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे। 2010 के जून में ही वे गुवाहाटी हाईकोर्ट और बाद में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाया बने।
क्यों हैं जस्टिस मदन लोकुर चर्चा में?
जस्टिस मदन लोकुर ने बिहार की एक ऐसी महिला को गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी किया था जो बिना तलाक लिए अपने पति से अलग रह रही थी। इसके अलावा जस्टिस लोकुर ने ही खुली जेल का फार्मूला अपनाने के लिए गृह मंत्रालय को बैठक करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा था कि खुली जेल बनाने से जेल में ज्यादा कैदियों की परेशानी से निजात मिलेगी और कैदियों को समाज की मुख्यधारा में लौटने का मौका मिलेगा।
कौन हैं जस्टिस कुरियन जोसफ?
जस्टिस जोसफ ने 1979 में अपना कानूनी करियर शुरु किया। वर्ष 2000 में उन्हें केरल हाईकोर्ट का जज बनाया गया। 2010 में वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 8 मार्च 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
क्यों रहे जस्टिस जोसफ चर्चा में?
जस्टिस जोसफ सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की उस बेंच में शामिल थे जिसने तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दिया था। करना का ऑर्डर देने वाली पांच जजों की बेंच में शामिल थे। जस्टिस जोसफ ने ही गुड फ्राइडे पर एक कांफ्रेंस के आयोजन पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने इस बारे में पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि वो गुड फ्राइडे की वजह से परिवार के साथ केरल में हैं और इस मौके पर होने वाले डिनर में नहीं आ पाएंगे। उन्होंने यह भी लिखा है कि दिवाली, दशहरा, होली, ईद, बकरीद जैसे शुभ और पवित्र दिन ऐसा कोई आयोजन नहीं होता।
Published: 12 Jan 2018, 3:25 PM IST
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Published: 12 Jan 2018, 3:25 PM IST