1857 के विद्रोह की शुरुआत 29 मार्च यानी आज के ही दिन हुई थी। उस विद्रोह के नायक मंगल पांडे को आज पूरा देश याद कर रहा है। 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्मे मंगल पांडे ने 29 मार्च, 1857 को बंगाल की बैरकपुर छावनी में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी आज उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया।
Published: 29 Mar 2018, 5:01 PM IST
1857 की क्रांति के पीछे कारतूस ने अहम भूमिका निभाई थी। दरअसल, जो एंफील्ड बंदूक सिपाही इस्तेमाल करते थे, उसमें कारतूस भरने के लिए दांतों का इस्तेमाल करना पड़ता था। पहले कारतूस को काटकर खोलना पड़ता था और उसके बाद उसमे भरे हुए बारूद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था। पानी की सीलन से बचाने के लिए कारतूस के बाहर चर्बी लगी होती थी और इसी चर्बी को लेकर विवाद हुआ था। सिपाहियों में यह अफवाह फैल गई थी कि कारतूस में लगी हुई चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनाई जाती है। ऐसे में सिपाहियों को लगा की अंग्रेज उनका धर्म भ्रष्ट करना चाहते हैं।
इसी मुद्दे को आधार बनाते हुए बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजा दिया। छावनी के परेड ग्राउंड में मंगल पांडे ने लेफ्टिनेंट बाग और सार्जेंट मेजर ह्यूसन की हत्या कर दी थी। इसके बाद में मंगल पांडे ने खुद को गोली मार ली, लेकिन वे सिर्फ घायल ही हुए थे। बाद में 7 अप्रैल, 1957 को मंगल पांडे को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दे दी थी।
बैरकपुर छावनी से शुरू हुआ विद्रोह पूरे देश में फैल गया, जिसके बाद देशभर में लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया। इस विद्रोह के दौरान कई जगहों पर हिंसा हुई। लेकिन अंग्रेजी हुकूमत ने इस विद्रोह को दबाने में सफल हुई।
Published: 29 Mar 2018, 5:01 PM IST
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Published: 29 Mar 2018, 5:01 PM IST