संसद हमले की आज 18वीं बरसी है। 13 दिसंबर, 2001 को देश की संसद पर आतंकियों ने हमला कर दिया था। 5 बंदूकधारियों ने संसद परिसर पर हमला कर वहां अंधाधुंध गोलियां बरसायीं थीं। इस हमले के दौरान दिल्ली पुलिस के जवान, संसद भवन के गार्ड समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे और 5 आतंकवादी मारे गए थे।
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस हमले में शहीद हुए जवानों को ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा, “एक महान देश अपने उन बहादुर व साहसी जवानों की शहादत को सलाम करता है जिन्होंने 2001 में संसद को इसपर हुए आतंकी हमले से बचाते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।”
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उन्होंने आगे लिखा, “हम आज भी आतंकवाद को देश और दुनिया से खत्म करने के अपने विचार पर प्रतिबद्ध हैं।”
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्य नेता मंत्रियों के साथ संसद हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी।
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बता दें कि 17 साल पहले संसद पर एक सफेद एंबेसडर कार में आए 5 आतंकवादियों अचानक गोलीबारी शुरू कर दी थी। सुबह 11 बजकर 28 मिनट पर संसद भवन पर आतंकियों ने पूरी प्लानिंग के साथ हमला कर दिया था। सबसे पहले एके-47 से लैस 5 आतंकियों ने गेट नंबर एक पर खड़ी एक कार पर अचानक फायरिंग शुरू कर दी थी। आतंकियों ने करीब 45 मिनट तक संसद भवन के अंदर जवान और गार्ड्स से मुठभेड़ करते रहे। इस दौरान आंतकियों ने लगातार गोलियां बरसाईं थी और बारुद गोले फेंके थे।
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13 दिसंबर को सुरक्षाकर्मियों के साथ गोलाबारी के बाद चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था और उन्हीं में छुपा था संसद हमले का मास्टरमाइंड। इसमें प्रमुख मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन, अफसान गुरु और एसएआर गिलानी थे। दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने दो को बरी कर दिया और एक की मौत की सजा बरकरार रखी। गिलानी, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर था। वहीं अफसान गुरु को भी आरोपों से बरी कर दिया लेकिन अफजल गुरु को 2013 में फांसी दी गई थी।
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