धर्म के नाम पर चुनाव में वोट मांगना न सिर्फ चुनाव आचार संहिता के खिलाफ है, बल्कि कानूनी तौर पर एक अपराध भी है। कानून के जानकार वरिष्ठ वकील और देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली जब गुजरात के मतदाताओं से बीजेपी के लिए वोट मांग रहे थे तो क्या यह बात उन्हें नहीं पता थी?
एनसीपी के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील माजिद मेमन ने सवाल उठाया है कि वित्त मंत्री कैसे धर्म के नाम पर गुजरात के मतदाताओं से वोट देने की अपील कर सकते हैं? उन्होंने चुनाव आयोग से भी पूछा है कि क्या उसे यह नजर नहीं आ रहा है?
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2 दिसंबर को सूरत में मीडिया से बात करते हुए अरुण जेटली ने बीजेपी के ‘हिंदुत्व’ की जड़ों पर जोर डालते हुए कहा था कि जो लोग हिन्दू धर्म में अपनी श्रद्धा जता रहे हैं वे नकली हैं। उन्होंने कहा, “बीजेपी हमेशा से हिंदुत्व समर्थक पार्टी रही है और अगर कोई हमारी नकल करता है तो हमें कोई शिकायत नहीं है। लेकिन राजनीति में एक बुनियादी सिद्धांत काम करता है कि अगर आपके पास असली मौजूद है तो आप नकली की तरफ क्यों जाएंगे?”
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के उस आरोप का वित्त मंत्री जवाब दे रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी को अब हिंदू नहीं कहा जा सकता क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से कट्टरपंथी विचारधारा को स्वीकार कर लिया है। लेकिन शायद ऐसा करते हुए वे अपने पेशे और चुनाव की मर्यादा को लांघ गए। तब से लेकर उनकी इस टिप्पणी पर विवाद चल रहा है और अब एक तरह से माजिद मेमन ने भी चुनाव आयोग से इसका संज्ञान लेने की अपील की है।
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