गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद दूसरे चरण के प्रचार ने जोर पकड़ लिया है। लेकिन राज्य में 22 सालों से सत्तारूढ़ बीजेपी बौखलाई नजर आ रही है। दूसरे चरण के चुनाव प्रचार में पार्टी नेताओं ने सारी नैतिकता और मर्यादा को ताक पर रख दिया है। और खुद प्रधानमंत्री मोदी इसकी अगुवाई करते नजर आ रहे हैं। मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए बीजेपी मानो किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार नजर आ रही है।
10 दिसंबर को बनासकांठा के पालनपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने गुजरात चुनाव में पाकिस्तान के हस्तक्षेप का नया शिगूफा छोड़ा है। इतना ही नहीं मोदी ने चुनावी सभा में आरोप लगाया कि गुजरात चुनाव के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीमापार से मदद ले रहे हैं। रैली में कांग्रेस पर हमला करते हुए मोदी ने कहा, “पाकिस्तानी सेना के पूर्व डायरेक्टर जनरल सरदार अरशद रफीकी कांग्रेस नेता अहमद पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं।
Published: 10 Dec 2017, 7:56 PM IST
उन्होंने कहा, ''एक तरफ पाकिस्तानी सेना के पूर्व डीजी गुजरात के चुनाव में दखल दे रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के लोग मणिशंकर अय्यर के घर बैठक भी कर रहे हैं। मीडिया की खबर है कि मणिशंकर अय्यर के घर एक गुप्त बैठक हुई जिसमें पाकिस्तान के उच्चायुक्त समेत, वहां के पूर्व विदेश मंत्री, भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शामिल हुए थे।'' इस बैठक के तुरंत बाद कांग्रेस के लोग गुजरात के आम लोगों, वहां के पिछड़ों, गरीबों की और मोदी की बेइज्जती करते हैं।” उन्होंने लोगों से पूछा, “क्या आपको नहीं लगता इन पर संदेह किया जाना चाहिए।''
Published: 10 Dec 2017, 7:56 PM IST
पीएम मोदी द्वारा लगाए गए आरोपों पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि इस तरह के अनर्गल आरोप लगाने से पहले बीजेपी नेतृत्व को अपने पाकिस्तान प्रेम का जवाब देना चाहिए। सुरजेवाला ने मोदी के बयान को वोट बटोरने के लिए ‘शब्दों का हमला’ करार देते हुए कहा कि बीजेपी के अनेक नेताओं का, प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से ‘पाकिस्तान प्रेम’ जगजाहिर है।
Published: 10 Dec 2017, 7:56 PM IST
कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल उठाया, “भारत के खिलाफ षडयंत्र करने वाले उग्रवादियों व अलगाववादियों पर बीजेपी सरकार का रवैया ढुलमुल क्यों है?, आईएसआई जैसी एजेंसी पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह को इतना विश्वास क्यों है कि उन्हें भारत सरकार देश का मेहमान बना कर बुलाती है?, कुख्यात अंतरराष्ट्रीय आतंकी दाउद इब्राहिम की पत्नी किन हालात में साल 2016 में पाकिस्तान से मुंबई आई और वापस चली गई, लेकिन केंद्र औऱ राज्य की सरकार ने कुछ नहीं किया ?” उन्होंने पूर्व महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष औऱ फड़णवीस सरकार में मंत्री रहे एकनाथ खड़से के दाउद इब्राहिम से कथित बातचीत मामले का मुद्दा भी उठाया, जिसके बाद खड़से को इस्तीफा देना पड़ा था।
सुरजेवाला ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर भी हमला करते हुए कहा, “एक तरफ तो वह पाकिस्तान में पटाखे फूटने का जुमला गढ़ते हैं। लेकिन क्या यह सही नहीं है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल के बेटे शौर्य डोवल का बिजनेस पार्टनर सईद अली अब्बास पाकिस्तानी है और दूसरे अन्य पार्टनर भी सऊदी अरब से हैं? क्या इस पर अमित शाह को कोई एतराज है या नहीं?” सुरजेवाला ने कहा कि झूठे जुमले गढ़ने वाले छद्म राष्ट्रवादियों को असली सवालों का जवाब देने की आवश्यकता है।
दरअसल कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने एक बयान में मोदी के लिए 'नीच' शब्द का इस्तेमाल कर दिया था। हालांकि, अय्यर के बयान की कड़ी निंदा करते हुए राहुल गांधी ने उन्हें माफी मांगने के लिए कहा था। जिसके बाद अय्यर ने माफी मांग ली थी। उसके बाद इसे गंभीरता से लेते हुए कांग्रेस पार्टी ने अय्यर को पार्टी की प्राथमिक सदस्य़ता से निलंबित कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद मोदी उसी दिन से इसे चुनावी मुद्दा बना कर माहौल अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि अगर ऐसी कोई बैठक हुई थी तो देश की खुफिया एजेंसियों ने केंद्र की मोदी सरकार को कोई रिपोर्ट क्यों नहीं दी? और अगर सरकार के पास इस संबंध में कोई आधिकारिक रिपोर्ट है तो प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? मोदी देश के पीएम हैं, केंद्र और राज्य में भी उनकी ही पार्टी की सरकारें हैं, ऐसे में पाकिस्तान अगर कोई दखल कर रहा है या कोई पार्टी पाकिस्तान से मदद ले रही है तो उसपर कार्रवाई की जानी चाहिए ना कि चुनावी सभाओं में जुमलेबाजी। ऐसे में क्या समझा जाए!
पीएम मोदी के भाषणों से साफ दिख रहा है कि राज्य में बीजेपी की हालत बहुत खराब है। ऐसे में वह और उनकी पार्टी अहमद पटेल के बहाने ध्रुवीकरण करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। अब इन अनर्गल प्रयासों से बीजेपी को कितना फायदा होता है ये तो 18 दिसंबर को ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि 14 दिसंबर से पहले तक बीजेपी और पीएम मोदी की भाषा और जहरीली होती जाएगी।
Published: 10 Dec 2017, 7:56 PM IST
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Published: 10 Dec 2017, 7:56 PM IST